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This Article is From Jun 12, 2020

EMI पर ब्याज़ का मामला : SC ने RBI से कहा - वित्त मंत्रालय के साथ बैठक कर बताएं, ब्याज़ पर मोहलत देंगे या नहीं

शीर्ष अदालत ने वित्त मंत्रालय और RBI के अधिकारियों से 3 दिनों के भीतर संयुक्त बैठक कर ये तय करने को कहा है कि क्या  31 अगस्त तक EMI पर दी गई मोहलत के साथ ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है?

EMI पर ब्याज़ का मामला : SC ने RBI से कहा - वित्त मंत्रालय के साथ बैठक कर बताएं, ब्याज़ पर मोहलत देंगे या नहीं
कोर्ट ने RBI को दिया निर्देश- तीन दिन में मीटिंग कर करें फैसला.
नई दिल्ली:

कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान लोन की EMI में मिली मोहलत के दौरान EMI पर ब्याज लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से सवाल किया है कि क्या ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है? शीर्ष अदालत ने वित्त मंत्रालय और RBI के अधिकारियों से 3 दिनों के भीतर संयुक्त बैठक कर ये तय करने को कहा है कि क्या  31 अगस्त तक EMI पर दी गई मोहलत के साथ ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वो ब्याज माफ करने के लिए नहीं टालने की बात कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय और RBI को आपस में बैठक करने के निर्देश दिए. दालत ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दोनों की बैठक का इंतजाम करें. मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होनी है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि लोन चुकाने के लिए दी गई मोहलत देने के बाद EMI पर अधिक ब्याज दर नहीं ली जानी चाहिए. यदि लोन 3 महीने के लिए टाल दिया गया है, तो बैंकों को देय राशि में ब्याज और ब्याज पर ब्याज 
नहीं जोड़ना चाहिए. सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को जानकारी दी है कि इस सप्ताह के अंत में RBI और वित्त मंत्रालय के साथ एक बैठक आयोजित की जानी है.  

SC ने बुधवार तक सुनवाई को स्थगित कर दिया है और कहा कि यह सवाल ब्याज पर ब्याज तक सीमित है, बल्कि यह नहीं कि ब्याज छह महीने की ईएमआई अधिस्थगन अवधि के लिए पूरी तरह से माफ किया गया है या नहीं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि सभी बैंकों का विचार है कि ब्याज छह महीने की ईएमआई अधिस्थगन अवधि के लिए माफ नहीं किया जा सकता है.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्थिक पहलू लोगों के स्वास्थ्य से बढ़कर नहीं है. अदालत ने कहा था कि ये सामान्य समय नहीं हैं. एक ओर EMI पर मोहलत दी जा रही है लेकिन ब्याज में कुछ भी नहीं. यह ज्यादा नुकसान वाली बात है. कोर्ट का आदेश था एक हफ्ते में वित्त मंत्रालय और अन्य पक्षकार RBI के जवाब पर हलफनामा दाखिल करें.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो मुद्दे हैं कि क्या मोहलत के दौरान EMI पर ब्याज से और ब्याज पर ब्याज से छूट दी जा सकती है? SG तुषार मेहता ने कहा था कि वो वित्त मंत्री और आला अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रास्ता तलाशते हैं.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, आरबीआई ने 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें बैंकों को तीन महीने की अवधि के लिए किश्तों के भुगतान के लिए मोहलत दी गई थी.  22 मई को, RBI ने 31 अगस्त तक के लिए तीन महीने की मोहलत की अवधि बढ़ाने की घोषणा की, नतीजतन लोन पर ब्याज छह महीने के लिए ये मोहलत बन गई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि बैंक EMI पर मोहलत देने के साथ- साथ ब्याज लगा रहे हैं जो कि गैर-कानूनी है. इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने RBI और केंद्र से जवाब मांगा था.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में आरबीआई ने हलफ़नामा दायर कर 6 महीने की मोराटोरियम अवधि के दौरान ब्याज माफी की मांग को गलत बताया था. RBI ने कहा कि लोगों को 6 महीने का EMI अभी न देकर बाद में देने की छूट दी गई है, लेकिन इस अवधि का ब्याज भी नहीं लिया गया तो बैंकों को 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा. जवाब में ये भी कहा गया है कि अभी ब्याज नहीं लगाया गया तो बाद में EMI पर ब्याज और बढ़ जाएगा और बैंकौं व वित्तीय संस्थानों के लिए ब्याज ही आय का स्त्रोत है.

वीडियो: क्या मोहलत के दौरान EMI पर ब्याज में छूट दी जा सकती है- SC

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