मुंबई:
चुनाव आयोग ने भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को शनिवार को एक नोटिस जारी किया और पूछा कि अपने चुनाव प्रचार अभियान में खर्चे को ‘छिपाने और कम कर बताने के लिए’ क्यों न उन्हें अयोग्य कर दिया जाए जबकि उन्होंने जनता के बीच आठ करोड़ रुपये खर्च करने की बात स्वीकार की है।
चुनाव आयोग ने मुंडे से कहा कि 20 दिनों के भीतर बताएं कि चुनाव आचार नियम, 1961 के तहत क्यों न उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की जाए और जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अपने चुनावी खर्च को ठीक-ठीक बताने में ‘असफल’ रहने के लिए उन्हें क्यों न अयोग्य करार दिया जाए।
वर्ष 2009 के संसदीय चुनाव के दौरान चुनाव खर्च की सीमा 25 लाख रुपये थी।
मुंडे बीड़ से सांसद हैं और लोकसभा में भाजपा के उपनेता हैं। मुंडे ने 27 जून को मुंबई में एक किताब के विमोचन के मौके पर कहा था कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने आठ करोड़ रुपये खर्च किया था। इस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी भी मौजूद थे।
मुंडे ने चुनाव के दौरान बढ़ते खर्च पर दुख व्यक्त करते हुये कहा था, ‘‘वर्ष 1980 में जब मैंने पहली बार चुनाव लड़ा था तो मैंने 29 हजार रुपये खर्च किया था। पिछले चुनाव (वर्ष 2009) में मेरे आठ करोड़ रुपये खर्च हुए।’’
अपने नोटिस में चुनाव आयोग ने कहा, ‘‘आपके द्वारा लिखित में चूक का कारण बताया जाना चाहिये और आपका स्पष्टीकरण नोटिस मिलने के 20 दिन के अंदर आयोग के पास पहुंच जाना चाहिए।’’
चुनाव आयोग ने अपने नोटिस में कहा कि मुंडे ने वर्ष 2009 में जो चुनावी खर्च बताया है वह मात्र 19,36,922 रुपये है।
सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने मुंडे के भाषण की सीडी ले ली है और नोटिस तैयार करने से पहले नकल तैयार कर ली है। इस मौके को भुनाते हुए कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि मुंडे को संसद से अयोग्य ठहराया जाए।
कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि मुंडे ने चुनाव कानून का उल्लंघन किया है और स्वयं इसे स्वीकार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव आयोग को समुचित कार्रवाई करना चाहिए।’’
मुंबई उत्तर से कांग्रेस सांसद संजय निरूपम ने कहा कि चुनाव आयोग को मुंडे को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
इस मुद्दे पर भाजपा बचाव की मुद्रा में आ गई है और तर्क दिया कि मुंडे ने चुनावों के सरकारी वित्त पोषण का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है।
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘‘मुंडे ने चुनावों के सरकारी वित्तपोषण और साथ ही बढ़ते चुनावी खर्च का बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। मैं समझता हूं कि एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है।’’ शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मुंडे का मतलब था कि लोगों ने उनके चुनाव प्रचार पर आठ करोड़ रुपये खर्च किया।
चुनाव आयोग ने मुंडे से कहा कि 20 दिनों के भीतर बताएं कि चुनाव आचार नियम, 1961 के तहत क्यों न उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की जाए और जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अपने चुनावी खर्च को ठीक-ठीक बताने में ‘असफल’ रहने के लिए उन्हें क्यों न अयोग्य करार दिया जाए।
वर्ष 2009 के संसदीय चुनाव के दौरान चुनाव खर्च की सीमा 25 लाख रुपये थी।
मुंडे बीड़ से सांसद हैं और लोकसभा में भाजपा के उपनेता हैं। मुंडे ने 27 जून को मुंबई में एक किताब के विमोचन के मौके पर कहा था कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने आठ करोड़ रुपये खर्च किया था। इस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी भी मौजूद थे।
मुंडे ने चुनाव के दौरान बढ़ते खर्च पर दुख व्यक्त करते हुये कहा था, ‘‘वर्ष 1980 में जब मैंने पहली बार चुनाव लड़ा था तो मैंने 29 हजार रुपये खर्च किया था। पिछले चुनाव (वर्ष 2009) में मेरे आठ करोड़ रुपये खर्च हुए।’’
अपने नोटिस में चुनाव आयोग ने कहा, ‘‘आपके द्वारा लिखित में चूक का कारण बताया जाना चाहिये और आपका स्पष्टीकरण नोटिस मिलने के 20 दिन के अंदर आयोग के पास पहुंच जाना चाहिए।’’
चुनाव आयोग ने अपने नोटिस में कहा कि मुंडे ने वर्ष 2009 में जो चुनावी खर्च बताया है वह मात्र 19,36,922 रुपये है।
सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने मुंडे के भाषण की सीडी ले ली है और नोटिस तैयार करने से पहले नकल तैयार कर ली है। इस मौके को भुनाते हुए कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि मुंडे को संसद से अयोग्य ठहराया जाए।
कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि मुंडे ने चुनाव कानून का उल्लंघन किया है और स्वयं इसे स्वीकार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव आयोग को समुचित कार्रवाई करना चाहिए।’’
मुंबई उत्तर से कांग्रेस सांसद संजय निरूपम ने कहा कि चुनाव आयोग को मुंडे को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
इस मुद्दे पर भाजपा बचाव की मुद्रा में आ गई है और तर्क दिया कि मुंडे ने चुनावों के सरकारी वित्त पोषण का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है।
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘‘मुंडे ने चुनावों के सरकारी वित्तपोषण और साथ ही बढ़ते चुनावी खर्च का बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। मैं समझता हूं कि एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है।’’ शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मुंडे का मतलब था कि लोगों ने उनके चुनाव प्रचार पर आठ करोड़ रुपये खर्च किया।
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