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This Article is From Nov 09, 2016

पीएम नरेंद्र मोदी के 'ब्लैक मनी पर सर्जिकल स्ट्राइक' से सबसे ज्यादा घायल हुए इन कारोबार से जुड़े हुए लोग

पीएम नरेंद्र मोदी के 'ब्लैक मनी पर सर्जिकल स्ट्राइक' से सबसे ज्यादा घायल हुए इन कारोबार से जुड़े हुए लोग
कालाधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने की कार्रवाई...
नई दिल्ली: भारत सरकार ने एक फिर कालाधन का प्रयोग करने वालों पर ऐसा वार किया है कि वे सभी चारों खाने चित्त हो गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस संबंध में की गई घोषणा के बाद सबसे ज्यादा असर जिन सेक्टर से जुड़े लोगों पर पड़ेगा, आइए उन पर एक नजर डालें ...

कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री
देश में यह सर्वविदित स्वीकार्य तथ्य है कि सबसे ज्यादा कालाधन कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में प्रयोग में लाया जाता है. यहां पर कैश का लेन-देन सबसे ज्यादा होता है. कैश को संभालकर रखा जाता है. सामान खरीदने से लेकर मजदूरी देने का काम कैश में निपटा लिया जाता है. इतना ही नहीं, कालेधन से नए-नए बिल्डर पैदा हो गए हैं. तमाम खरीदारों पर कैश में पैसा देने का दबाव हमेशा रहता है. ऐसी खरीदारी को बढ़ावा देने के लिए कैश में खरीदने वालों को कम रेट में भी मकान-फ्लैट बेचा जाता है.

कालाधन का निवेश
इस सेक्टर में कालाधन के जरिए इनवेस्ट करने वालों की भी कमी नहीं है. भ्रष्टाचार के जरिए जमा किए गए पैसे का भी सबसे ज्यादा इनवेस्टमेंट इसी सेक्टर में होता रहा है. सरकार के इस निर्णय यहां सबसे बड़ा धक्का लगा होगा. अब उसे या तो जल्द से जल्द बैंक में जमा करना होगा या फिर यह अब कागज हो जाएगा.

अंडरवर्ल्ड और हवाला कारोबारी चित्त
सरकार के कालाधन पर इस सर्जिकल स्ट्राइक का दूसरा सबसे बड़ा असर अंडरवर्ल्ड और हवाला का कारोबार करने वाले लोगों पर पड़ेगा. ये लोग अपना पूरा काम कैश पर करते हैं. अंडरवर्ल्ड जहां कैश के जरिए अपने कामों को बेरोकटोक अंजाम देता रहा है. चाहे वह लोगों से अवैध वसूली रही हो या फिर पैसे को ब्याज पर उठाना रहा हो, ये सब काम कैश पर होते रहे हैं. अब यह सब कम से कम कुछ समय के लिए तो बंद हो ही जाएगा.

इसके अलावा हवाला का कारोबार करने में लगे लोगों को घर बैठे जोर का झटका लगा है. उन्होंने जो पैसा अपने कस्टमर से लिया और जो पैसा डिलीवर करना होगा उसमें ये लोग फंस गए और अब कमिटमेंट में देनदारी की उलझन इन्हें काफी समय तक परेशान करती रहेगी क्योंकि जो कैश इनके पास या लूप में फंसा है वह बरबाद हो गया. इन लोगों पर एक साथ लगाम लगाने के यह कारगर उपाय जान पड़ रहा है.

आतंकवाद पर हमला
आतंकवाद पर हमला भी सरकार ने किया है. अक्सर देखा गया है कि पकड़े गए आतंकी या फिर सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के पास से भारतीय मुद्रा मिलती है. आतंकवाद के आका अपने पिट्ठुओं को भारतीय मुद्रा के साथ भारत में घुसाते हैं ताकि जब वह भारतीय सरजमीं पर हों तो उन्हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो. हवाला के जरिए ये आतंकवाद के आका अपने स्लीपर सेल्स के पास भी इसी प्रकार से धन मुहैया कराते हैं जो जरूरत पर किसी बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम देते हैं.

सरकारी भ्रष्टाचार पर अंकुश
सरकार ने कालाधन पर इस बड़ी कार्रवाई से हर उस सरकारी कर्मचारी पर भी हमला किया है, जो भ्रष्टाचार और घूस का सहारा लेकर पैसा कमाने की तरकीब अपनाता रहा है. अक्सर देखा गया है कि सरकारी अधिकारी के यहां छापे में कई करोड़ रुपये कैश मिले. कई बार तो यहां तक हुआ है कि सरकारी कार्यालय में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी के चपरासी के घर पर छापेमारी में करोड़ों रुपये कैश या फिर करोड़ों रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ है. सरकार की इस कार्रवाई से इन भ्रष्टाचारियों पर भी कड़ा प्रहार हुआ है और तमाम लोग अब कैश इकट्ठा करने से भी डरेंगे.

बॉलीवुड में कालाधन
इसके अलावा बॉलीवुड में ब्लैकमनी का काफी प्रचलन रहा है. चाहे वह अंडरवर्ल्ड के जरिए रहा हो या फिर प्रोड्यूसर उधार के माध्यम से अपना काम निकाल रहे हों. अब यह कैश भी बेकार हो जाएगा और कई सौ करोड़ के निवेश के जरिए होने वाले इस कारोबार पर भी सरकार के इस कदम का असर होगा.

बड़े व्यापारियों पर असर
दिल्ली समेत देश की बड़ी मंडियों, अनाज के व्यापारी आदि जो काफी कारोबार उधार और कैश पर करते रहे हैं उन्हें भी अब इस फैसले से दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. अगर बैंकों तक नहीं गए तो उनके घरों में पड़ा लाखों करोड़ों का कैश कागज के टुकड़ों में तब्दील हो जाएगा.

सर्राफा बाजार में असर
इसके अलावा सोना चांदी के कारोबार में लगे व्यापारियों में भी कैश का काफी कारोबार होता रहा है. सरकार के पहले के फैसले जिसके जरिए कथित रूप से इस व्यापार में कालेधन की रोक लगनी थी उसका सर्राफा व्यापारियों ने कड़ा विरोध किया था.

कई महीनों सोना-चांदी का कारोबार करने वालों सर्राफा व्यापारियों ने अपनी दुकाने बंद रखीं, लेकिन सरकार नहीं झुकी और सब सामान्य हो गया. सरकार ने बड़ी खरीदारी पर पैन कार्ड अनिवार्य बनाया था. हां, इतना जरूर है कि कालाधन रखने वाले लोग एक बार फिर सोना और प्रॉपर्टी खरीदने में ही अपनी भलाई समझेंगे. 500 और 1000 रुपये का नोट तो सरकारी मान्यता से ही चलता है, लेकिन सोना और संपत्ति तो है सदा के लिए...

कमेटियों के काम पर हथौड़ा चला
देश में तमाम शहरों में कमेटी का काम जिसे अलग-अलग शहरों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. यह कारोबार व्यापारियों में ज्यादा प्रचलन में है. यहां पर सभी कैश इकट्ठा करते हैं और बोली दाता कुछ ब्याज छोड़कर पैसा उठाता है. बची हुई रकम सभी बोलीदाताओं में बराबर बांट दी जाती है. यह पैसा भी कालाधन का एक नमूना है. इससे जुड़े कारोबारियों को सरकार के इस फैसले से बड़ी चोट पहुंची है.

चुनाव में कालाधन पर नकेल
चुनाव आते हैं मीडिया से लेकर सड़क के नुक्कड़ तक वोटों के खरीदने का जिक्र होता रहा है. आरोप लगता है कि कालाधन चुनाव में जीत हार में अहम भूमिका निभाता है. अक्सर तलाशी अभियान में कई सौ करोड़ रुपये कैश जब्त किए जाते हैं. कई बार तो यह कालाधन स्वीकारने वाले लोग भी सामने नहीं आते हैं. गांव में इस कालेधन का सहारा लेकर वोटरों को खरीदा जाता है. हर चुनाव में चर्चा होती है कि शराब के साथ नोट दिए गए हैं. एक वोट की फलां कीमत लगी. फलां प्रत्याशी ने तय सीमा से अधिक रुपया चुनाव में झोंका. यह सब अब इस फैसले के बाद कम से कम कुछ समय के लिए रुक जाएगा.

साहूकारों के कारोबार पर चोट
इसके अलावा छोटे शहरों और गांव देहातों में साहूकारी के काम में लगे लोगों को भी 500 और 1000 के वर्तमान नोट बंद करने का असर झेलना होगा. ये लोग में कालाधन कमाकर तिजोरी में भरकर रखते हैं और अपने अवैध कारोबार को धड़ल्ले से चलाते हैं.

पैदा होंगे नए दानवीर
हंसी जरूर आएगी, लेकिन ऐसा है कि सरकार के इस कदम से देश में अब नए दानवीर पैदा होंगे. संभव है कि मंदिरों में, अनाथालयों में, भिखारियों में, ये नोट बांटे जाएं, आखिर इन्हें ठिकाने जो लगाना है. हो सकता है गरीब लोगों को 500 या फिर 1000 रुपये की नोट देकर उनके खातों के जरिए इसे बदलने का लालच भी दिया जाए. खैर ऐसा भी हुआ तब भी कालाधन का एक बड़ा हिस्सा सफेद होगा और लोगों के खाते में बिना कुछ किए रुपये आ जाएंगे.

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