प्रतीकात्मक फोटो
अहमदाबाद:
मंगलवार को गुजरात के नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने वडोदरा और मुंबई की दो फार्मा कम्पनियों पर छापामारी की और उनके पास से करीब 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की दवाएं जब्त कीं. यह दवाइयां विदेश भेजी जानीं थीं और इनका ड्रग्स के तौर पर भी इस्तेमाल होता है. इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
छापे के बाद वड़ोदरा की डॉल्फिन फार्मा के डायरेक्टर अनिल लुहार, मैनेजर जाहिद शेख और मुंबई की केसी फार्मा के किशन चौधरी और मैनेजर मुरुगन को एनडीपीएस कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है.
बताया जाता है कि यह दवाइयां सिर्फ डॉक्टर के परामर्श पर ही मिल सकती हैं. विदेशों में यह अलग तत्वों से बनती है जो बहुत महंगे होते हैं. भारत में यह बहुत सस्ती मिलती है इसलिए इसकी ऑनलाइन पर बड़े पैमाने पर मांग है. विदेशों में अनधिकृत रूप से भेजी जाने पर यह ब्लेक मार्केट में मिलती हैं. भारत में पांच रुपये में मिलने वाली यह दवाइयां विदेशों में 8 से 32 डॉलर तक में बिकती हैं. यही कारण है कि यह दवाइयां दूसरी वस्तुओं के नाम पर गैरकानूनी तरीके से कुरियर से भेजी जाती हैं और फिर उनका ड्रग्स के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के गुजरात के जोनल डायरेक्टर हरिओम गांधी का कहना है कि इन दवाइयों की डिमांड काफी ज्यादा है क्योंकि लोग इनके एडिक्ट हो चुके हैं. इनका जो इम्पेक्ट है और इफेक्ट है वह एक तरह से रेगुलर ड्रग की तरह से है और इनका नुकसान भी रेगुलर ड्रग जैसा ही है.
पिछले एक साल में ही नार्कोटिक्स कंट्रोल विभाग ने 700 करोड़ से ज्यादा की ऐसी दवाइयां जब्त की हैं जो विदेशों में ऑनलाइन बाजार के जरिए भेजी जानी थीं. इनके अलावा यह दवाइयां जिन तत्वों से बनती हैं ऐसे तत्व भी ऑनलाइन बिकते हैं. ऐसे तत्व तो 2000 करोड़ से ज्यादा की कीमत के जब्त हो चुके हैं. ऐसा लगने लगा है कि ड्रग तस्करी अब ऑनलाइन तरीके से भी बड़े पैमाने पर हो रही है.
छापे के बाद वड़ोदरा की डॉल्फिन फार्मा के डायरेक्टर अनिल लुहार, मैनेजर जाहिद शेख और मुंबई की केसी फार्मा के किशन चौधरी और मैनेजर मुरुगन को एनडीपीएस कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है.
बताया जाता है कि यह दवाइयां सिर्फ डॉक्टर के परामर्श पर ही मिल सकती हैं. विदेशों में यह अलग तत्वों से बनती है जो बहुत महंगे होते हैं. भारत में यह बहुत सस्ती मिलती है इसलिए इसकी ऑनलाइन पर बड़े पैमाने पर मांग है. विदेशों में अनधिकृत रूप से भेजी जाने पर यह ब्लेक मार्केट में मिलती हैं. भारत में पांच रुपये में मिलने वाली यह दवाइयां विदेशों में 8 से 32 डॉलर तक में बिकती हैं. यही कारण है कि यह दवाइयां दूसरी वस्तुओं के नाम पर गैरकानूनी तरीके से कुरियर से भेजी जाती हैं और फिर उनका ड्रग्स के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के गुजरात के जोनल डायरेक्टर हरिओम गांधी का कहना है कि इन दवाइयों की डिमांड काफी ज्यादा है क्योंकि लोग इनके एडिक्ट हो चुके हैं. इनका जो इम्पेक्ट है और इफेक्ट है वह एक तरह से रेगुलर ड्रग की तरह से है और इनका नुकसान भी रेगुलर ड्रग जैसा ही है.
पिछले एक साल में ही नार्कोटिक्स कंट्रोल विभाग ने 700 करोड़ से ज्यादा की ऐसी दवाइयां जब्त की हैं जो विदेशों में ऑनलाइन बाजार के जरिए भेजी जानी थीं. इनके अलावा यह दवाइयां जिन तत्वों से बनती हैं ऐसे तत्व भी ऑनलाइन बिकते हैं. ऐसे तत्व तो 2000 करोड़ से ज्यादा की कीमत के जब्त हो चुके हैं. ऐसा लगने लगा है कि ड्रग तस्करी अब ऑनलाइन तरीके से भी बड़े पैमाने पर हो रही है.
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