नई दिल्ली:
देश के 9 राज्यों में सूखे के हालात हैं और ऐसे में एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि वहां के हालात गंभीर हैं और केंद्र सरकार इस बात से इंकार नहीं कर सकती कि वहां हालात खराब हैं।
केंद्र सरकार हालात को सही तरीके से जज कर सकती है और इसके लिए कदम उठाए जाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ये बहस का मुद्दा नहीं है, आपको राहत देनी ही पड़ेगी। केंद्र इस मामले को विपरीत तरीके से ना ले क्योंकि प्रशांत भूषण सरकारी कामकाज पर सवाल उठाते हैं। इस मामले में याचिका ये है कि सरकार सूखा प्रभावित लोगों के लिए और भी कदम उठाए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर सवाल उठाए और कहा कि 9 राज्यों मे सूखे के हालात हैं, ऐसे में लोगों की दिक्कतों पर सरकार आंख मूंदे नहीं रह सकती। सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि हम यहां पर मिड डे मील और दूसरी योजनाओं के मूल्यांकन पर सुनवाई नहीं कर रहे।
कोर्ट ने कहा - हम सूखा प्रभावित राज्यों के लोगों को राहत कैसे मिले, इस मसले पर सुनवाई कर रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि सूखा प्रभावित लोगों के लिए सरकार क्या कर रही है और भविष्य मे क्या करेगी। कोर्ट ने कहा कि हम सूखे के हालात को लेकर चिंतित हैं, लोगों की मदद करना चाहते हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि मनरेगा के तहत जो पैसा राज्यों को दिया जाता है क्या वो लोगो तक पहुंचता है? कोर्ट ने कहा कि केवल कहने से कुछ नहीं होता कि इतने हजार करोड़ रुपये योजना के लिए आवंटित किए हैं। जो कह रहे हैं उसका आधार भी होना चाहिए।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों का पैसा बकाया क्यों है? सरकार ये कहना चाहती है कि पिछले साल जिस मजदूर ने काम किया, उसे पैसा इस साल मिलेगा।
केंद्र सरकार हालात को सही तरीके से जज कर सकती है और इसके लिए कदम उठाए जाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ये बहस का मुद्दा नहीं है, आपको राहत देनी ही पड़ेगी। केंद्र इस मामले को विपरीत तरीके से ना ले क्योंकि प्रशांत भूषण सरकारी कामकाज पर सवाल उठाते हैं। इस मामले में याचिका ये है कि सरकार सूखा प्रभावित लोगों के लिए और भी कदम उठाए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर सवाल उठाए और कहा कि 9 राज्यों मे सूखे के हालात हैं, ऐसे में लोगों की दिक्कतों पर सरकार आंख मूंदे नहीं रह सकती। सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि हम यहां पर मिड डे मील और दूसरी योजनाओं के मूल्यांकन पर सुनवाई नहीं कर रहे।
कोर्ट ने कहा - हम सूखा प्रभावित राज्यों के लोगों को राहत कैसे मिले, इस मसले पर सुनवाई कर रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि सूखा प्रभावित लोगों के लिए सरकार क्या कर रही है और भविष्य मे क्या करेगी। कोर्ट ने कहा कि हम सूखे के हालात को लेकर चिंतित हैं, लोगों की मदद करना चाहते हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि मनरेगा के तहत जो पैसा राज्यों को दिया जाता है क्या वो लोगो तक पहुंचता है? कोर्ट ने कहा कि केवल कहने से कुछ नहीं होता कि इतने हजार करोड़ रुपये योजना के लिए आवंटित किए हैं। जो कह रहे हैं उसका आधार भी होना चाहिए।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों का पैसा बकाया क्यों है? सरकार ये कहना चाहती है कि पिछले साल जिस मजदूर ने काम किया, उसे पैसा इस साल मिलेगा।
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