DRDO ने बनाई DIPCOVAN किट, मात्र 75 रुपये में पता चलेगा आपके शरीर में कितनी एंटीबॉडी है

कोरोना के खिलाफ जंग में DRDO को एक अहम कामयाबी मिली है. 2-डीजी जैसी दवा बनाने के बाद संस्थान मे अब कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी डिटेक्शन किट DIPCOVAN भी तैयार की है.

DRDO ने बनाई DIPCOVAN किट, मात्र 75 रुपये में पता चलेगा आपके शरीर में कितनी एंटीबॉडी है

DIPCOVAN किट से पता चल सकेगा शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडी या प्लाज्मा है या नहीं

नई दिल्ली:

कोरोना के खिलाफ जंग में DRDO को एक अहम कामयाबी मिली है. 2-डीजी जैसी दवा बनाने के बाद संस्थान मे अब कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी डिटेक्शन किट DIPCOVAN भी तैयार की है. इसे दिल्ली के वैनगार्ड डायग्नॉस्टिक्स के सहयोग से विकसित किया गया है. DIPCOVAN किट के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि इंसान के शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडी या प्लाज्मा है या नहीं, फिलहाल इस किट को 1000 से ज्यादा मरीजों पर टेस्ट किया जाएगा. ICMR ने इसे अप्रैल महीने में ही मंजूरी दे दी थी वहीं DCGI भी इसे मई के महीने में ही मंज़ूरी दे चुका है. जानकारी के मुताबिक जून के पहले हफ्ते में यह प्रोडक्ट बाजार में लॉन्च हो जाएगा. हर हर टेस्ट की कीमत 75 रुपये होगी.   

v9t46t0o

Read Also: DRDO की कोरोनारोधी दवा 2-डीजी लांच, ऑक्सीजन की जरूरत को कम करेगी ये दवा

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डीपकोविन, स्पाइक और नुक्लेओकैप्सिड प्रोटीन को भी डिटेक्ट कर सकता है वो भी 97 फीसदी की उच्च संवेदनशीलता और 99 फीसदी की विशिष्टता के साथ. इस किट को 1000 से ज़्यादा मरीजो पर टेस्ट किया जाएगा. कोरोना के खिलाफ जंग में इसे अहम माना जा रहा है. वैक्सीनेशन के समय भी इसकी जानकारी से जरूरी कदम उठाए जा सकेंगे. 

Read Also: देश में तीन माह के भीतर 500 ऑक्‍सीजन प्‍लांट लगाएगा DRDO

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

इससे पहले DRDO की कोरोनारोधी दवा 2-डीजी को 17 मई को लॉन्च किया गया था. संस्थान के अनुसार 2-डीजी दवा कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की जरूरत को कम करेगी. कोरोना के मध्यम और गंभीर मरीजों पर 2-डीऑक्सी-डी-ग्लुकोज (2-डीजी) दवा के आपातकालीन इस्तेमाल को भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) की ओर से मंजूरी मिली थी. रक्षा मंत्रालय ने 8 मई को कहा था कि 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) के क्लीनिकल परीक्षण में पता चला है कि इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है. साथ ही इस दवा से मरीज जल्दी ठीक होते हैं.