डोसियर में खुलासा : 26 /11 के हमले की जांच में एफआईए ने सिर्फ खानापूर्ति की

डोसियर में खुलासा : 26 /11 के हमले की जांच में एफआईए ने सिर्फ खानापूर्ति की

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

मुंबई में 26 /11 के आतंकी हमले से पहले डेविड कलेमन हेडली द्वारा की गई भारत में रेकी और हमले में पाकिस्तान की आर्मी के रोल के बारे में पाक की फेडरल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (एफआईए) ने जांच नहीं की है। इसके बारे में उस डोसियर में लिखा है जो भारत पाकिस्तान को सौंपने वाला था। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल का कहना है कि जब तक पाकिस्तान आईएसआई के रोल की जांच नहीं करता तब तक साजिश पूरी तरह से बहार नहीं आ सकती।

डोसियर के मुताबिक "चैन ऑफ एविडेंस" आगे नहीं बढ़ सकती अगर आईएसआई के रोल के बारे में जांच न की जाए। डोसियर में भारत ने पाकिस्तान द्वारा की जा रही कई खामियों का जिक्र किया है। इस डोसियर की कॉपी एनडीटीवी इंडिया के पास भी है। डोसियर में लिखा है '26/11 का हमला एक दिन में नहीं कई सालों में प्लान किया गया था। सब तार जोड़कर ही मुख्य आरोपियों के खिलाफ सबूत इकट्ठे किए जा सकते हैं।'

एफआईए की जांच में खामियों की लिस्ट डोसियर में शामिल है। भारत यह डोसियर पाकिस्तान को देना चाहता था, लेकिन दोनों देशों के बीच बातचीत रद हो गई। भारत का कहना है कि पाकिस्तान जनता था कि उसके पास भारत के सवालों का कोई जवाब नहीं है, इसीलिए उसने बातचीत रद कर दी।

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एफआईए की जांच में खामियों की फेहरिस्त
1. मुंबई पर हमला एक दिन में नहीं कई सालों में प्लान किया गया था। इस हमले में कई लोग शामिल थे, लेकिन पाकिस्तान की एफआईए ने बड़ी तस्वीर पर जांच नहीं की।
2. पाकिस्तान में फिलहाल 26/11 के मामले में सात आरोपियों के खिलाफ मामला चल रहा है। 20 आरोपी भगोड़े करार दिए गए हैं, लेकिन पाकिस्तान ने इन लोगों के खिलाफ सबूत भी सही तौर पर कोर्ट में पेश नहीं किए। बावजूद इसके कि अमेरिका की एफबीआई ने कई अहम सबूत इन लोगों के खिलाफ दिए थे।
3. एफआईए ने हाफिज सईद के खिलाफ भी जांच नहीं की, जबकि सईद ने ही ज़की उर रहमान लखवी के साथ मिलकर हमले करवाए थे। दोनों आतंकवादियों की ट्रेनिंग से लेकर उन्हें तकरीरें देने तक वह हमले से जुड़े रहे।
4.एफआईए ने हेडली की पत्नी फैज़ा कुतलह से भी पूछताछ जानबूझकर नहीं की क्योंकि वे भी सईद के खिलाफ सबूत देतीं।
5. डेविड हेडली ने उन सब जगह की रेकी की थी जहां हमला हुआ। वह अपने आकाओं - साजिद मजीद, अब्दुल रहमान, मेजर इक़बाल, मेजर समीर को रिपोर्ट करता था पर एफआईए ने इस पहलू को तवज्जो नहीं दी।
6. एफआईए ने करांची में जो कुछ साजिश रची गई सिर्फ उसकी जांच की। आतंकवादियों की ट्रैनिंग से लेकर लोजिस्टिक्स में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर मुजफ्फराबाद, मुरीदके और लाहौर का भी जिक्र था, लेकिन उन इलाकों में जांच नहीं हुई इसलिए मामला कच्चा रह गया।
7. जिन लोगों ने आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी, उस बारे में भी जांच नहीं हुई। हेडली ने कहा था कि "फ्रॉगमैन" ने ट्रेनिंग दी थी और उसकी पहचान अब्दुल रहमान बताई थी।
8. दस आतंकवादियों को सुविधाएं मुहैया कराने वालों के बारे में भी जांच नहीं की गई। एफआईए द्वारा इस पहलू की जांच नहीं की गई कि हमलावर कराची और लाहौर में कहां रहे और उनका रहने का इंतजाम किसने किया।
9. मुंबई में हमला जब हो रहा था तो उसका कन्ट्रोल रूम करांची में था, यह ज़ैबुद्दीन अंसारी यानि अबु जुंदाल ने बताया था। कंट्रोल रूम में कौन कौन थे और उनका क्या रोल था, इस बारे में भी एफआईए खामोश है।
10. ज़की उर रहमान लखवी से सही ढंग से न पूछताछ हुई और न ही आरोपियों की आवाज़ के नमूने भारत को सौंपे गए। एफआईए बस खानापूर्ति करती रही।
11. मुंबई हमले की जांच में कई नाम सामने आए थे नुसार जावेद, अबु सईद, सईद इंजीनियर, अबु अनस, अबु दुजाना, अबु कहाफा वगैरह पर एफआईए ने कभी कोशिश नहीं की कि इन लोगों की असली पहचान मालूम की जाए।
12. हेडली के मामले में कई अहम गवाह पाकिस्तान में मौजूद हैं, लेकिन एफआईए ने उनसे कभी पूछताछ नहीं की।
13. हेडली को मेजर इकबाल ने भारत में खर्च करने के लिए नकली नोट दिए थे लेकिन एफआईए ने इस पहलू की जांच भी नहीं की।
14. इल्यास कश्मीरी का क्या रोल था, इस पर भी एफआईए ने जांच नहीं की।
15.एफआईए ने उन ईमेल और टेलीफोन कॉलों की भी पड़ताल नहीं की, जिसका विवरण भारत ने उसे दिया था।
16. आतंकवादियों के पास हथियार कहां से आए, इसकी जांच भी एफआईए ने नहीं की।