छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के नसबंदी कैंप में हुई महिलाओं की मौत के मामले में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर आरके गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है। घटना के बाद से ही डॉक्टर फरार था। डॉक्टर को बुधवार रात बिलासपुर से 80 किलोमीटर दूर बालोदा से गिरफ्तार किया गया। बाद मे डॉक्टर को बिलासपुर लाया गया, जहां उससे पूछताछ की जा रही है।
गिरफ्तारी के बाद डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि मैं पूरी तरह से बेकसूर हूं। मुझ पर टारगेट पूरा करने का दबाव था। गुप्ता के मुताबिक, सभी महिलाओें की सर्जरी सही हुई थी, लेकिन जो दवाएं उनको दी गई, उसकी वजह से उनकी तबीयत बिगड़ी।
यही नहीं डॉ आरके गुप्ता को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से इसी साल गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया गया था।
इधर, महिलाओं की नसबंदी के दौरान इस्तेमाल की गई दवाओं के सैंपल को कोलकाता के सेंट्रल ड्रग लैब में जांच के लिए भेज दिया गया है। 10−15 दिनों में इसके नतीजे आने की उम्मीद है। कमिश्नर का कहना है कि अगर जांच के दौरान दवाओं में गड़बड़ी पाई गई तो उन्हें बैन किए जाने पर विचार किया जा सकता है।
इस मामले में अब तक 11 महिलाओं की मौत हुई थी, वहीं गौरेला पेंडरा के नसबंदी कैंप में भी एक महिला की मौत हो गई थी। कइयों की हालत गंभीर है।
गौरतलब है कि बिलासपुर के पेंडारी में लगे नसबंदी कैंप में महिलाओं की मौत के बाद भी स्वास्थ्य महकमा नहीं जागा और दो दिन बाद वैसा ही एक कैंप बिलासपुर के गोरेला में लगाकर एक ही दिन में 26 महिलाओं की नसबंदी कर दी गई। यहां भी चार महिलाओं की हालत गंभीर हो गई और उन्हें बिलासपुर के जिला अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन एक महिला ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। पेंडारी में नसबंदी कैंप 8 नवंबर को लगा था और अगले ही दिन यानी 9 नवंबर को कई महिलाओं की तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई थी यानी सर्जरी में लापरवाही की बात सामने आने के बावजूद 10 नवंबर को गौरेला में कैंप लगाया गया।
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