प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि दिल्ली जैसे महंगे शहर में पत्नी के लिए ₹3500 प्रति माह का गुजारा-भत्ता ज्यादा नहीं है. अदालत ने घरेलू हिंसा के मामले में आरोपित एक शख्स की याचिका खारिज करते हुए कहा कि किसी महिला को उसकी उस हैसियत के हिसाब से अंतरिम गुजारा-भत्ता दिया जाता है जो विवाहित महिला के रूप में उसकी होती है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लोकेश कुमार शर्मा ने कहा, उच्चतर अदालतों के आदेशों के मद्देनजर अंतरिम गुजारा-भत्ता देने के पीछे मकसद पत्नी को भूखमरी और परेशानियों से सिर्फ बचाना नहीं होता है. वह उस तरह की जिंदगी जीने की हकदार है जो अपने पति के साथ रहते समय गुजार रही थी'.
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शर्मा ने कहा, 'मेरे विचार से, पक्षों की सामाजिक-आर्थिक हैसियत पर विचार करते हुए निचली अदालत से अंतरिम गुजारा-भत्ता के लिए मिला आदेश, खास तौर पर दिल्ली जैसे महानगर में जीवन यापन के खर्च को देखते हुए ज्यादा नहीं लगता. गौरतलब है कि कि मजिस्ट्रेटी अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील में उस शख्स ने दलील दी थी कि महिला एक पेशेवर शिक्षक है और उसे अच्छी तनख्वाह मिल रही है.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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