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This Article is From Jun 07, 2017

धर्मनिरपेक्षता साबित करने के लिए बीफ या पोर्क खाने की जरूरत नहीं : माकपा

बंगाल में बीफ भोज का आयोजन नहीं करेगी माकपा, प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं को पहुंच सकती है ठेस

धर्मनिरपेक्षता साबित करने के लिए बीफ या पोर्क खाने की जरूरत नहीं : माकपा
प्रतीकात्मक फोटो.
कोलकाता: भाजपा के हाथों राज्य में तेजी से अपना आधार गंवा रही बंगाल माकपा मवेशी बाजार में बूचड़खाने ले जाने के लिए पशुओं के क्रय-विक्रय पर लगे देशव्यापी प्रतिबंध के खिलाफ बीफ भोज के आयोजन से बच रही है क्योंकि यह प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है.

माकपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "केंद्र सरकार और भाजपा जो कर रही है, वह सही नहीं है. लेकिन बीफ या पोर्क (सुअर का मांस) भोज आयोजित करके आप लोगों को अपनी धर्मनिरपेक्षता साबित करने के लिए बीफ या पोर्क खाने को मजबूर कर रहे हैं. हमें लगता है कि धर्मनिरपेक्षता साबित करने के लिए आपको बीफ या पोर्क खाने की जरूरत नहीं है."

उन्होंने कहा, इसके अलावा, बीफ भोज आयोजित करने से बहुसंख्यक समुदाय में गलत संदेश जा सकता है और भाजपा इसका लाभ उठा सकती है. उन्होंने कहा, "राज्य सरकार की तुष्टिकरण की नीतियों के कारण भाजपा पश्चिम बंगाल में तेजी से पकड़ बना रही है. अब यदि हम बीफ भोज का आयोजन करते हैं तो यह सांप्रदायिक आग भी भड़का सकता है. हम भाजपा को इससे लाभ नहीं लेने देंगे." वाम के बचे-खुचे वोट भी भाजपा के हिस्से में चले जाने का डर ऐसा है कि विदेशी धरती पर अमेरिका के हमले वाली घटनाओं तक में प्रदर्शन करने वाली माकपा आज देशव्यापी प्रतिबंध लगने के बावजूद कोई विरोध प्रदर्शन करने से बच रही है.

केरल में पिछले सप्ताह प्रदर्शन हुए जिसमें माकपा के युवा मोर्चा और छात्र संगठन डीवाईएफआई तथ एसएफआई ने हिस्सा लिया और प्रतिबंध के विरोध में कई जगहों पर 'बीफ भोज' का आयोजन भी किया गया.
(इनपुट भाषा से)

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