वसुंधरा राजे की फाइल तस्वीर (पीटीआई फोटो)
नई दिल्ली:
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बचाव में बीजेपी को एक और हथियार मिल गया है। अब बीजेपी की ओर कहा जा रहा है कि हलफनामे पर दस्तखत भले ही वसुंधरा राजे के हों, लेकिन जब कोर्ट में इसे सत्यापित करने की नौबत आई तब वसुंधरा ने ऐसा नहीं किया था।
ब्रिटेन में ललित मोदी के लिए इमीग्रेशन में सहायता के लिए हलफनामा देने वाली वसुंधरा ने कहा था कि भारत में राजनीतिक विद्वेष के चलते मोदी को निशाना बनाया गया था। बता दें कि 2011 में, वसुंधरा ने उस हलफनामे पर दस्तखत किए थे। इस हलफनामा के सार्वजनिक होने के बाद से वसुंधरा राजे की मुश्किलें बढ़ गईं थीं।
बताया जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को राजे ने समझाया है कि ललित मोदी ने उन्हें हलफनामा पर दस्तखत करने के लिए राजी कर लिया था, लेकिन जब कोर्ट में इसे प्रामाणित करने की बात आई तब तक वसुंधरा का मन बदल चुका था और उन्होंने ऐसा नहीं किया।
गुरुवार को अमेरिका से लौटे केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कोई भी ऐसा नहीं है जो दागी है। वहीं, केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि पार्टी पूरी मसले से सकारात्मक रूप से निपट रही है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के क्रिकेट टाइकून ललित मोदी की मदद करने के आरोप में घिरने के बाद जहां विपक्ष उन्हें और बीजेपी को घेरने में लगा हुआ है, वहीं नरेंद्र मोदी सरकार अब इस बात की तैयारी में लग गई है कि वह कैसे इस मामले से पाक साफ निकले। सूत्र बता रहे हैं कि सरकार अब उन संभावनाओं को तलाश रही है कि जिनके जरिए ललित मोदी पर वे आरोप भी लगाए जाएं जिसके तहत कोर्ट में उसके खिलाफ सख्त मामला चले और कोर्ट से उनके गिरफ्तारी का आदेश लिया जा सके।
सरकार में बैठे उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सरकार का मानना है कि वर्तमान में यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान ललित मोदी पर जो भी केस दर्ज हुए वे फेमा के अंतर्गत आते हैं और इस कानून के तहत किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। यह कानून सिर्फ पैसा वसूली तक का अधिकार देता है।
यही वजह है कि सरकार की ओर से अभी भी आधिकारिक रूप से ललित मोदी को 'भगोड़ा' घोषित नहीं किया जा सका है।
ब्रिटेन में ललित मोदी के लिए इमीग्रेशन में सहायता के लिए हलफनामा देने वाली वसुंधरा ने कहा था कि भारत में राजनीतिक विद्वेष के चलते मोदी को निशाना बनाया गया था। बता दें कि 2011 में, वसुंधरा ने उस हलफनामे पर दस्तखत किए थे। इस हलफनामा के सार्वजनिक होने के बाद से वसुंधरा राजे की मुश्किलें बढ़ गईं थीं।
बताया जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को राजे ने समझाया है कि ललित मोदी ने उन्हें हलफनामा पर दस्तखत करने के लिए राजी कर लिया था, लेकिन जब कोर्ट में इसे प्रामाणित करने की बात आई तब तक वसुंधरा का मन बदल चुका था और उन्होंने ऐसा नहीं किया।
गुरुवार को अमेरिका से लौटे केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कोई भी ऐसा नहीं है जो दागी है। वहीं, केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि पार्टी पूरी मसले से सकारात्मक रूप से निपट रही है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के क्रिकेट टाइकून ललित मोदी की मदद करने के आरोप में घिरने के बाद जहां विपक्ष उन्हें और बीजेपी को घेरने में लगा हुआ है, वहीं नरेंद्र मोदी सरकार अब इस बात की तैयारी में लग गई है कि वह कैसे इस मामले से पाक साफ निकले। सूत्र बता रहे हैं कि सरकार अब उन संभावनाओं को तलाश रही है कि जिनके जरिए ललित मोदी पर वे आरोप भी लगाए जाएं जिसके तहत कोर्ट में उसके खिलाफ सख्त मामला चले और कोर्ट से उनके गिरफ्तारी का आदेश लिया जा सके।
सरकार में बैठे उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सरकार का मानना है कि वर्तमान में यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान ललित मोदी पर जो भी केस दर्ज हुए वे फेमा के अंतर्गत आते हैं और इस कानून के तहत किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। यह कानून सिर्फ पैसा वसूली तक का अधिकार देता है।
यही वजह है कि सरकार की ओर से अभी भी आधिकारिक रूप से ललित मोदी को 'भगोड़ा' घोषित नहीं किया जा सका है।
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