क्या नेपाल में भूकंप के बाद सिकुड़ गया है माउंट एवरेस्ट, भारतीय सर्वेक्षण विभाग फिर मापेगा ऊंचाई

क्या नेपाल में भूकंप के बाद सिकुड़ गया है माउंट एवरेस्ट, भारतीय सर्वेक्षण विभाग फिर मापेगा ऊंचाई

माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई फिर से मापी जाएगी...

खास बातें

  • इस परियोजना के लिए जरूरी मंजूरी ले ली गई है
  • इससे भविष्य के वैज्ञानिक अध्ययनों में भी मदद मिलेगी.
  • नेपाल में दो साल पहले भीषण भूकंप आया था
हैदराबाद:

भारतीय सर्वेक्षण विभाग जल्द ही माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई ‘फिर से मापेगा’. दरअसल, सर्वेक्षण विभाग यह पता लगाना चाहता है कि नेपाल में दो साल पहले आए भयंकर भूकंप के बाद विश्व की सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई वास्तव में कम हुई है या नहीं. भारतीय सर्वेक्षण विभाग का एक दल इस अभियान के लिए दो महीने में नेपाल के लिए रवाना होगा. यह अभियान ऐसे समय चलाया जा रहा है जब माउंट एवरेस्ट की उंचाई को लेकर वैज्ञानिक समुदाय की ओर से शंकाएं व्यक्त की गई हैं. माउंट एवरेस्ट की आधिकारिक रूप से ऊंचाई समुद्र स्तर से 8848 मीटर ऊपर है.

भारतीय सर्वेक्षण विभाग के महा सर्वेक्षक स्वर्ण सुब्बा राव ने कहा कि इस परियोजना के लिए जरूरी मंजूरी ले ली गई है और इससे भविष्य के वैज्ञानिक अध्ययनों में भी मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा, हम एक अभियान दल को माउंट एवरेस्ट के लिए रवाना कर रहे हैं. एवरेस्ट की ऊंचाई की घोषणा, अगर मैं गलत नहीं हूं तो 1855 में की गई थी. कइयों के द्वारा इसकी उंचाई नापी गई लेकिन भारतीय सर्वेक्षण विभाग की माप को आज भी सही उंचाईं माना जाता है. भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अनुसार एवरेस्ट की ऊंचाई 29,028 फुट है, हम इसे दोबारा नापने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेपाल में दो साल पहले भीषण भूकंप आया था, इसके बाद से ही वैज्ञानिक समुदाय को शक है कि एवरेस्ट सिकुड़ रहा है, दोबारा नाप कराने का यह एक कारण है. इसके अलावा दूसरा कारण यह है कि यह वैज्ञानिक अध्ययन और प्लेट की गति को समझने में सहायता करता है. राव ने एक कार्यक्रम से इतर कहा कि इसके लिए आवश्यक मंजूरी मिल चुकी है और यह अभियान एक माह में शुरू हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि इस बार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई दो तरीकों ‘ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम’ (जीपीएस) और एक जमीनी पद्धति से नापने की योजना है.

(इनपुट्स भाषा से)


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