कोविड-19 वैक्सीन को विमान में सुरक्षित लाने या ले जाने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने दिशानिर्देश जारी किए हैं. DGCA के मुताबिक, ऐसे सभी अधिकृत ऑपरेटर जो अभी खतरनाक सामान लाने ले जाने के लिए अधिकृत हैं, वो नियम और शर्तों के तहत ड्राई आइस में पैक कोविड-19 वैक्सीन को ले जा सकते हैं. ऐसे सभी नॉन शेड्यूल्ड (गैर अनुसूचित) ऑपरेटर और ऐसे ऑपरेटर जो नियमित फ्लाइट ऑपरेशन में शामिल हैं, उनको वैक्सीन प्लेन में लाने या ले जाने के लिए मंजूरी लेनी पड़ेगी.
ड्राई आइस में पैक की गई वैक्सीन को कार्गो कंपार्टमेंट के लोअर डेक में रखना ठीक रहेगा. हालांकि अगर ऑपरेटर चाहे तो ड्राई आइस में पैक वैक्सीन को पैसेंजर केबिन में रख रखकर ले जा सकता है. लेकिन उस सूरत में पैसेंजर को वहां होने की इजाज़त नहीं होगी. विमानन कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कार्बन डाई ऑक्साइड से फ्लाइट क्रू को कोई नुकसान ना हो. फ्लाइट क्रू को ड्राई आइस (कच्ची बर्फ) के परिवहन के नुकसान और खतरे, साथ ही इस तरह के काम की प्रक्रिया के बारे में पूरी तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.
दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में कोरोना वैक्सीन (Covid Vaccine) की पहली खेप पहुंचने वाली है. जनवरी मध्य के बाद से कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण भी शुरू हो सकता है. केंद्र सरकार ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि 3 करोड़ हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्करों को टीका मुफ्त में लगाया जाएगा.
पहले चरण में जिन बाकी 27 करोड़ लोगों का टीकाकरण (Corona Vaccination) होना है, उन्हें टीका मुफ्त मिलेगा या नहीं, इस पर अभी कोई स्पष्टता नहीं है. 50 साल से अधिक उम्र के और गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए टीकाकरण का खर्च केंद्र या राज्य सरकार वहन करेगी, इस पर बैठक में चर्चा हो सकती है. हालांकि राजस्थान समेत कई राज्यों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि कोरोना के कारण उनका खजाना खाली है. ऐसे में कोरोना वैक्सीन की लागत केंद्र को ही वहन करनी चाहिए. क्या निजी अस्पतालों को भी टीकाकरण की इजाजत दी जाए, इस पर भी बैठक में चर्चा हो सकती है.
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