नई दिल्ली:
पेरिस में हुए ताजा आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ले ली है। जहां एक ओर सीरिया के राष्ट्रपति असद ने इसे फ्रांस की नीतियों का ही असर बताया है, वहीं बेल्जियम ने अपने नागरिकों को सलाह दी है कि वह पेरिस न जाएं। उधर, फ्रांस ने साफ कर दिया है कि इस महीने 30 नवंबर को शुरू हो रहा जलवायु परिवर्तन का महासम्मेलन बिना किसी रोक-टोक के अपने तय समय पर पेरिस में ही होगा। इस महासम्मेलन में करीब 200 देश शामिल हो रहे हैं और पेरिस में दो हफ्ते तक करीब 70 हजार लोगों का जमावड़ा होगा।
वैसे पेरिस पर हुए हमलों से कुछ ही घंटों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान एक इत्तिफाक ही कहा जाएगा, जिसमें उन्होंने कहा कि आज दुनिया में दो तरह के खतरों की ही चर्चा होती है। एक आतंकवाद और दूसरा ग्लोबल वॉर्मिंग। साफ है कि जब पेरिस में दो हफ्ते के भीतर ग्लोबल वॉर्मिंग से निबटने के लिए चर्चा शुरू होगी, तो आतंकवाद का खतरा ही वहां हर वक्त मंडरा रहा होगा।
पेरिस में हो रहा क्लाइमेट चेंज समिट सालाना पर्यावरण महासम्मेलनों की कतार में 21वां सम्मेलन है, लेकिन इसका काफी बड़ा महत्व होगा। इस सम्मेलन में सभी देशों को बताना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग से बचने के लिए वो आने वाले सालों में क्या पुख्ता कदम उठाएंगे।
इस सम्मेलन से पहले हुए इस आतंकी हमले ने फ्रांस के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है, क्योंकि 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक हो रहे सम्मेलन में करीब 70 हजार लोग इकट्ठा होंगे। यहां 196 देश हिस्सा लेंगे। इसमें 140 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों का आना तय है। इन राष्ट्राध्यक्षों में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी वहां पहुंचेंगे। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी वहां रहेंगे। पत्रकारों और एनजीओ के साथ क्लाइमेट चेंज पर काम कर रही एजेंसियां भी वहां होंगी। इसलिए पेरिस में एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और फ्रांस सरकार ने अगले 7 दिन पेरिस और आसपास के इलाकों में किसी भी तरह के प्रदर्शन या जमावड़े पर पाबंदी लगा दी है।
जाहिर है कि इतने बड़े सम्मेलन को स्थगित करना या निरस्त करना फ्रांस के लिए मुमकिन नहीं है, क्योंकि ये आतंकवाद के आगे हार मानने जैसे बात होगी। इसलिए आने वाले दिनों में फ्रांस को देश के भीतर ही नहीं, बल्कि दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल करना होगा।
वैसे पेरिस पर हुए हमलों से कुछ ही घंटों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान एक इत्तिफाक ही कहा जाएगा, जिसमें उन्होंने कहा कि आज दुनिया में दो तरह के खतरों की ही चर्चा होती है। एक आतंकवाद और दूसरा ग्लोबल वॉर्मिंग। साफ है कि जब पेरिस में दो हफ्ते के भीतर ग्लोबल वॉर्मिंग से निबटने के लिए चर्चा शुरू होगी, तो आतंकवाद का खतरा ही वहां हर वक्त मंडरा रहा होगा।
पेरिस में हो रहा क्लाइमेट चेंज समिट सालाना पर्यावरण महासम्मेलनों की कतार में 21वां सम्मेलन है, लेकिन इसका काफी बड़ा महत्व होगा। इस सम्मेलन में सभी देशों को बताना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग से बचने के लिए वो आने वाले सालों में क्या पुख्ता कदम उठाएंगे।
इस सम्मेलन से पहले हुए इस आतंकी हमले ने फ्रांस के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है, क्योंकि 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक हो रहे सम्मेलन में करीब 70 हजार लोग इकट्ठा होंगे। यहां 196 देश हिस्सा लेंगे। इसमें 140 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों का आना तय है। इन राष्ट्राध्यक्षों में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी वहां पहुंचेंगे। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी वहां रहेंगे। पत्रकारों और एनजीओ के साथ क्लाइमेट चेंज पर काम कर रही एजेंसियां भी वहां होंगी। इसलिए पेरिस में एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और फ्रांस सरकार ने अगले 7 दिन पेरिस और आसपास के इलाकों में किसी भी तरह के प्रदर्शन या जमावड़े पर पाबंदी लगा दी है।
जाहिर है कि इतने बड़े सम्मेलन को स्थगित करना या निरस्त करना फ्रांस के लिए मुमकिन नहीं है, क्योंकि ये आतंकवाद के आगे हार मानने जैसे बात होगी। इसलिए आने वाले दिनों में फ्रांस को देश के भीतर ही नहीं, बल्कि दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल करना होगा।
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