फाइल फोटो
नई दिल्ली:
500-1000 रुपये के नोट बंद होने से देश की जनता तो परेशान है ही, भारत में रहने वाले विदेशी राजनयिक और विदेश में भारतीय मुद्रा इस्तेमाल करने वाले भी ख़ासी मुश्किल में हैं. इस बाबत विदेश मंत्रालय को मुख्य तौर पर तीन-चार तरह की शिकायतें मिली हैं.
पहली शिकायत दिल्ली में रहने वाले विदेशी राजनयिकों की तरफ़ से मिली है. उनका कहना है कि दूतावास या उच्चायोग को ज़्यादा नक़दी की ज़रूरत होती है. नोटों की निकासी और बदले जाने की फिलहाल जो सीमा रखी गई है, वह इनके लिए पर्याप्त नहीं है.
इनकी दूसरी शिकायत ये है कि इन्होंने काउंसलर और वीज़ा फीस के तौर पर जो पुराने नोट लिए हैं उनका क्या होगा. उन्हें कैसे जमा किया जाएगा या फिर वे कैसे बदले जाएंगे. डिप्लोमैटिक कोर के डीन ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाक़ात कर इन समस्याओं की जानकारी दी.
भारत में रहने वाले राजनयिकों के अलावा शिकायत नॉन रेजीडेंट इंडियन (एनआरआई) की तरफ से भी आई है जिनके पास विदेश में भारतीय मुद्रा है. हालांकि एक सीमा से ज़्यादा भारतीय मुद्रा विदेश नहीं ले जायी जा सकती. लेकिन जिनके पास तय सीमा में मुद्रा है और वे फिलहाल भारत नहीं आ रहे तो ऐसे में उनके 500-1000 के नोटों का क्या होगा. वे पुराने नोटों के बदले नए नोट कैसे पाएंगे. इस तरह के सवाल विदेश मंत्रालय से पूछे जा रहे हैं.
तीसरी शिकायत बाहर के देशों में भारतीय मुद्रा बदलने वाले एसोसिएशन की तरफ से आई है. दुनिया के दूसरे देशों की करेंसी के बदले भारतीय रुपया देने वाले एजेंट अब बड़े नोटों का क्या करेंगे.
एक बड़ी परेशानी भारत आने वाले सैलानियों की भी है. ख़ास तौर पर जो इलाज के लिए भारत आ रहे हैं उनकी अलग तरह की ज़रूरत है. उन्हें मोटी नक़दी की ज़रूरत होती है.
विदेश मंत्रालय ने इन तमाम शिकायतों और सवालों को वित्त विभाग को भेज दिया है. वित्त विभाग ने इस मामले में अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में एक इंटर मिनिस्ट्रीयल कमेटी बना दी है. विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ संयुक्त सचिव भी इस कमेटी में शामिल हैं. विदेश मंत्रालय का कहना है कि कमेटी के फैसले और उससे दिशानिर्देश मिलने के बाद ही वो शिकायत और सवाल करने वालों को जवाब दे पाएगा.
पहली शिकायत दिल्ली में रहने वाले विदेशी राजनयिकों की तरफ़ से मिली है. उनका कहना है कि दूतावास या उच्चायोग को ज़्यादा नक़दी की ज़रूरत होती है. नोटों की निकासी और बदले जाने की फिलहाल जो सीमा रखी गई है, वह इनके लिए पर्याप्त नहीं है.
इनकी दूसरी शिकायत ये है कि इन्होंने काउंसलर और वीज़ा फीस के तौर पर जो पुराने नोट लिए हैं उनका क्या होगा. उन्हें कैसे जमा किया जाएगा या फिर वे कैसे बदले जाएंगे. डिप्लोमैटिक कोर के डीन ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाक़ात कर इन समस्याओं की जानकारी दी.
भारत में रहने वाले राजनयिकों के अलावा शिकायत नॉन रेजीडेंट इंडियन (एनआरआई) की तरफ से भी आई है जिनके पास विदेश में भारतीय मुद्रा है. हालांकि एक सीमा से ज़्यादा भारतीय मुद्रा विदेश नहीं ले जायी जा सकती. लेकिन जिनके पास तय सीमा में मुद्रा है और वे फिलहाल भारत नहीं आ रहे तो ऐसे में उनके 500-1000 के नोटों का क्या होगा. वे पुराने नोटों के बदले नए नोट कैसे पाएंगे. इस तरह के सवाल विदेश मंत्रालय से पूछे जा रहे हैं.
तीसरी शिकायत बाहर के देशों में भारतीय मुद्रा बदलने वाले एसोसिएशन की तरफ से आई है. दुनिया के दूसरे देशों की करेंसी के बदले भारतीय रुपया देने वाले एजेंट अब बड़े नोटों का क्या करेंगे.
एक बड़ी परेशानी भारत आने वाले सैलानियों की भी है. ख़ास तौर पर जो इलाज के लिए भारत आ रहे हैं उनकी अलग तरह की ज़रूरत है. उन्हें मोटी नक़दी की ज़रूरत होती है.
विदेश मंत्रालय ने इन तमाम शिकायतों और सवालों को वित्त विभाग को भेज दिया है. वित्त विभाग ने इस मामले में अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में एक इंटर मिनिस्ट्रीयल कमेटी बना दी है. विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ संयुक्त सचिव भी इस कमेटी में शामिल हैं. विदेश मंत्रालय का कहना है कि कमेटी के फैसले और उससे दिशानिर्देश मिलने के बाद ही वो शिकायत और सवाल करने वालों को जवाब दे पाएगा.
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