RTI में हुआ खुलासा: दिल्ली पुलिस ने अपने कर्मियों के खिलाफ मिली 92 फीसदी शिकायतों पर नहीं की कार्रवाई

आरटीआई के जवाब में दिल्ली पुलिस ने बताया कि उसे साढ़े तीन साल में अपने कर्मचारियों के खिलाफ 18,861 शिकायतें मिली हैं. 

RTI में हुआ खुलासा: दिल्ली पुलिस ने अपने कर्मियों के खिलाफ मिली 92 फीसदी शिकायतों पर नहीं की कार्रवाई

दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मनदीप सिंह रंधावा से संपर्क नहीं हो सका. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस को पिछले साढ़े तीन साल में अपने कर्मियों के खिलाफ लगभग 19 हजार शिकायतें मिलीं, लेकिन कार्रवाई केवल 8.2 प्रतिशत शिकायतों पर की गई. इतना ही नहीं, इसी अवधि में निलंबित किए गए 1,422 में से 80 फीसदी से ज्यादा कर्मचारियों को बहाल भी कर दिया गया. ‘भाषा' ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत दिल्ली पुलिस से जनवरी 2016 से अगस्त 2019 के बीच उसे, अपने कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ मिली शिकायतों तथा उन पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी. आरटीआई के जवाब में दिल्ली पुलिस ने बताया कि उसे साढ़े तीन साल में अपने कर्मचारियों के खिलाफ 18,861 शिकायतें मिली हैं. 

आरटीआई से प्राप्त सूचना के मुताबिक, पुलिस ने इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए 1,422 कर्मचारियों को निलंबित किया और 122 को सेवा से बर्खास्त किया. लेकिन निलंबित किए गए कर्मियों में से 1,150 को बहाल भी कर दिया गया और 487 विभागीय जांच लंबित हैं. ‘भाषा' की ओर से दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एवं मध्य दिल्ली के पुलिस उपायुक्त मनदीप सिंह रंधावा से फोन और एसएमएस के जरिए संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए. 

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आरटीआई के माध्यम से प्राप्त सूचना के मुताबिक, मध्य जिला पुलिस ने करीब साढ़े तीन साल में मिलीं 6,219 शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए 75 कर्मियों को निलंबित और चार को बर्खास्त किया. इसके अलावा 34 कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है. मध्य जिला पुलिस ने यह नहीं बताया कि शिकायतों में क्या आरोप थे और किन आरोपों में कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है. 

भाषा को मिले आरटीआई के जवाब के अनुसार, मध्य जिला पुलिस के बाद सबसे ज्यादा, 3,428 शिकायतें उत्तर पश्चिम जिला पुलिस को अपने कर्मियों के खिलाफ मिलीं. इसके बाद शाहदरा जिला पुलिस है जिसे जनवरी 2017 से अगस्त 2019 तक अपने कर्मियों के खिलाफ 2,894 शिकायतें मिलीं. बाहरी जिला पुलिस को इस साल के शुरू से अगस्त तक अपने कर्मचारियों के खिलाफ 2,585 शिकायतें मिलीं. पश्चिम जिला पुलिस को करीब साढे़ तीन साल में 1,419 शिकायतें मिलीं. द्वारका जिला पुलिस को दिसंबर 2017 से अगस्त 2019 तक 839 शिकायतें मिलीं. जवाब के मुताबिक, यह शिकायतें दहेज, घरेलू विवाद, झगडे़, भ्रष्ट आचरण और बदसलूकी तथा ड्यूटी से अनधिकृत रूप से गैर हाजिर रहने से संबंधित हैं. वहीं आरटीआई के जबाब में, दक्षिण पूर्वी जिले, दक्षिण जिला, पूर्वी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस ने शिकायतों का ब्यौरा नहीं दिया, लेकिन निलंबित एवं बहाल किए कर्मियों और बर्खास्त कर्मियों का ब्यौरा दिया है. 

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दिल्ली पुलिस के पूर्व सहायक आयुक्त (एसीपी) वाई के त्यागी ने ‘भाषा' को बताया कि किसी कर्मी को निलंबित करना कोई सजा नहीं है. सजा का फैसला विभागीय जांच में होता है. अगर कोई आरोप पहली नजर में सही पाया गया है तो आरोपी कर्मी को उसकी ड्यूटी से निलंबित कर दिया जाता है और जांच में आरोप सही पाए जाने पर सजा का फैसला आरोपों की गंभीरता को देखते हुए लिया जाता है. उन्होंने कहा कि सजा में वेतन वृद्धि रोकने से लेकर सेवाकाल को कम (फोर्टफीट) करना या बर्खास्त करना शामिल होता है और इसकी प्रति पुलिस आयुक्त को भेजी जाती है जिस पर वह फैसला करते हैं. 

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त्यागी ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में तो मामला भी दर्ज किया जाता है और सेवा से भी बर्खास्त किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि पुलिस कर्मियों के खिलाफ तीन जगह से शिकायतें आती हैं. आम तौर पर जनता और पुलिस विभाग से कर्मियों के खिलाफ शिकायत आती है. इसके अलावा अदालत किसी अफसर के खिलाफ आदेश पारित कर देती है, तो उस पर भी जांच होती है.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)