दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिस के बीच झड़प मामले में रविवार को सुनवाई के दौरान अपने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से घटना की न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया. घटना के संबंध में मीडिया में आयी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल एवं न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने रविवार को कहा कि उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एस पी गर्ग मामले में न्यायिक जांच करेंगे. पीठ ने जांच पूरी होने तक दिल्ली पुलिस आयुक्त को विशेष आयुक्त संजय सिंह और अतिरिक्त डीसीपी हरिंदर सिंह का तबादला करने का आदेश दिया है. पीठ ने यह भी साफ किया कि किसी वकील के खिलाफ कोई बलप्रयोग नहीं किया जायेगा.
अधिकारियों और चश्मदीदों के अनुसार शनिवार दोपहर को तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिस के बीच झड़प में 20 पुलिसकर्मी तथा कई वकील घायल हो गये जबकि 17 वाहनों की तोड़फोड़ की गयी. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने पीठ को बताया कि घटना की जांच के लिये एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए वकील राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि झड़प में कथित रूप से शामिल एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) को निलंबित कर दिया गया है और एक अन्य का तबादला कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि झड़प में 21 पुलिस अधिकारी और आठ वकील घायल हुए हैं. उन्होंने कहा कि अपराध शाखा का विशेष जांच दल मामले की जांच करेगा.
उन्होंने कहा कि घटना के संबंध में हत्या के प्रयास के आरोप समेत संबंधित धाराओं के तहत चार प्राथमिकी दर्ज की गई है. पुलिस ने बताया कि घायल 20 पुलिसकर्मियों में दो थाना प्रभारी और एक अतिरिक्त आयुक्त शामिल हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट में तीस हजारी कोर्ट में उपद्रव मामले में हुई सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट से कहा कि अब तक 4 एफआईआर दर्ज की गई हैं. एक एफआईआर धारा 307 के तहत दर्ज की जाएगी. उपद्रव की जगह दो राउंड फायरिंग हुई और इसमें 3 वकील घायल हुए. घायल वकीलों का नाम विजय वर्मा, सागर शर्मा और पंकज कुमार दुबे है. दिल्ली पुलिस ने बताया कि 14 मोटरसाइकिलों और कुछ जिप्सियों में आग लगाई गई थी. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि घटनास्थल पर एफएसएल किया गया. डीसीपी के द्वारा इस मामले में जांच करने के लिए एसआईटी बनाई गई है. एक एएसआई, जिस पर वकील को लॉकअप में ले जाने का आरोप है, उसे सस्पेंड कर दिया गया है.
दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच क्यों हुई मारपीट?
एडवोकेट मोहित माथुर ने बताया, 'जिन एडवोकेट्स के खिलाफ एफआईआर हुई है उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. कोर्ट की अनुमति के बिना ऐसी एफआईआर में कोई जांच नहीं होनी चाहिए. वे हमे अपराधी की तरह दिखाना चाहते हैं. दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष ने घायल वकीलों को एम्स ट्रांसफर करने की मांग की है. पुलिस खुद इस मामले में आरोपी है.
जिस शख्स ने फायर किया, उसका ट्रांसफर कर दिया गया है. हम उसकी गिरफ्तारी की मांग करते हैं. हम दिल्ली हाईकोर्ट के वर्तमान और रिटायर्ड जज द्वारा इस मामले की जांच की मांग करते हैं.'
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा, 'जांच के अध्यक्ष को समय की एक निर्धारित अवधि के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया जाना चाहिए. घायल वकीलों को राज्य सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाना चाहिए. उन्हें बेहतर इलाज मिलना चाहिए.'
(इनपुट: भाषा से भी)
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