आम आदमी पार्टी से विधायक अलका लांबा ने एक बार फिर से पार्टी लाइन से हटकर बातें की हैं. दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अलका लांबा ने ट्वीट के जरिए एक बार फिर से अपनी ही पार्टी पर सवाल उठाए हैं. दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की खबरों को लेकर अलका लांबा ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार के हाथ में एसीबी चली आती तो क्या दिल्ली सरकार पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर कार्रवाई करती? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एसीबी, जांच आयोगों आदि पर केंद्र को अधिकार है. वहीं बिजली और जमीन के सर्किल रेट पर राज्य सरकार का अधिकार बताया है. एसीबी का केंद्र के हाथ में जाना दिल्ली सरकार के लिए झटके की तरह है.
दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट में लिखा- 'प्यारे संघियों, शीला दीक्षित कब जेल जाएंगी, अब मोदी जी से पूछो, और रोज पूछो.' इस ट्वीट को अलका लांबा ने रीट्वीट किया और कई सवाल पूछे.
अलका लांबा ने आम आदमी पार्टी को टारगेट किया और लिखा- अगर कांग्रेस से गठबंधन की बात करने वाले क्या एसीबी मिलने पर कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर कार्रवाई करती? या फिर गठबंधन बचाते? उन्होंने आगे लिखा कि ट्वीट से साबित होता है कि बीजेपी की केंद्र सरकार कार्रवाई करे या ना करे, मगर आम आदमी पार्टी अगर शीला दीक्षित को भ्रष्ट मानती है तो फिर गठबंधन क्यों?.
बड़ा सवाल : काँग्रेस से गठबंधन की बात करने वाले क्या #ACB मिलने पर काँग्रेस की पूर्व CM शीला दीक्षित जी पर कार्यवाही करती? हाँ/ना?
— Alka Lamba (@LambaAlka) February 14, 2019
या फिर गठबंधन बचाते?
ट्वीट से यह तो साबित होता है कि BJPकी केंद्र सरकार कार्यवाही करे या ना करे,AAP शीलाजी को भ्र्ष्ट मानते हैं,
फिर गंठबंधन क्यों? https://t.co/GKU1NxOXRt
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताते हुए अलका लांबा ने कहा कि मैं निराश हूं मगर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करती हूं. ACB किसी के पास भी रहे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ़ कार्यवाई जरूर होनी चाहिये. मोदी सरकार ने ना खुद कोई कार्यवाई की और ना ही दिल्ली सरकार को करने दी. उम्मीद अगली सरकार बिना कोई समझौता किये भ्रष्टाचारियों के खिलाफ़ कार्यवाई करेगी.
ऑल इंडिया सर्विसेस पर अधिकार को लेकर जस्टिस सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण का फैसला अलग रहा, जिस पर अब इस मामले को तीन जजों की बेंच को भेजा जाएगा. हालांकि, जस्टिस सीकरी ने सर्विसेज पर केंद्र सरकार का अधिकार बताया था.
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जस्टिस सीकरी ने कहा कि आसानी से कामकाज के लिए एक मैकेनिज्म होना चाहिए. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि ज्वाइंट सेक्रेटरी से ऊपर के लेवल का ट्रांसफर करने का अधिकार उपराज्यपाल के पास है. जस्टिस सीकरी ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) पर भी केंद्र का ही अधिकार है. वहीं बिजली पर राज्य सरकार का अधिकार बताया. जस्टिस सीकरी ने कहा कि जांच आयोग बनाने का अधिकार केंद्र के पास है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी मामले में मतभेद होने की स्थिति में उपराज्यपाल की राय ही मानी जाएगी.
VIDEO- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ACB और जांच आयोग पर केंद्र को अधिकार
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