दिल्ली में नेताओं द्वारा कोरोना वायरस की जरूरी दवाइयों के वितरण के मामले में दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं. इस बीच, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राजनीतिक नेताओं को दवाइयों ता स्टॉक इकट्ठा करने का कोई काम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि अगर वो लोगों का भला करना चाहते हैं तो दवाइयां DGHS को दे सकते हैं जो जरूरतमंद तक इन्हें पहुंचा सकते हैं.
हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि राजनीतिक फायदे के लिए दवाओं की जमाखोरी नहीं की जाएगी. दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और पूछा कि
ये किस तरह की रिपोर्ट है? कोर्ट ने टिप्पणी की कि कोई राजनीतिक नेता कह रहा है कि मैं तुम्हें यह दवा दूंगा, तो पुलिस को पता लगाना होगा कि वह दवा कहां से ला रहा है? कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि अगर लोग जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, तो आप जानते हैं कि क्या करना है.
हाईकोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि दिल्ली पुलिस दवाओं की जमाखोरी के आरोपों की उचित जांच करेगी. अदालत ने कहा कि इसका खामियाजा नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है. आपका लोगों के प्रति कर्तव्य है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि वह नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि मुझे नहीं पता कि मीडिया इसे क्लीन चिट क्यों कह रहा है?
मामले की अगली सुनवाई सोमवार 24 मई को होगी. 24 मई तक दिल्ली पुलिस को नए सिरे से जांच कर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी है. अदालत ने कहा कि वह जब्ती का निर्देश नहीं देगी क्योंकि यह पुलिस द्वारा की जाने वाली कानूनी कवायद है. कोर्ट ने सरकार से कहा कि नेताओं से खुद को सही करने को कहें. हम उम्मीद करते हैं कि दिल्ली पुलिस दवाओं की जमाखोरी की उचित जांच करेगी.
हाईकोर्ट ने ये भी टिप्पणी की कि हम उम्मीद करते हैं कि राजनीतिक फायदे के लिए दवाओं की जमाखोरी नहीं की जाएगी और इन दवाओं को सरकारी अस्पतालों में वितरण के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय को सौंप दिया जाएगा.
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