दिल्ली में सेना के एक पूर्व अफसर से जासूसी के आरोप में पूछताछ हुई. आरोप साबित न होने पर उसे एक किताब चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया लेकिन तिहाड़ जेल जाते ही उसकी रहस्यमय हालात में मौत हो गई. अब अफसर के घर वाले आरोप लगा रहे हैं कि उसकी हत्या कराई गई है. सेना की पैराशूट रेजिमेंट में कैप्टन रहे 65 साल के मुकेश चोपड़ा को एक नवंबर को चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़ा गया. उनसे दिल्ली पुलिस, आईबी, रॉ और मिलिट्री इंटेलिजेंस के लोगों ने लंबी पूछताछ की.
मुकेश चोपड़ा से पूछताछ में जब जासूसी के कोई सबूत नहीं मिले तो उन्हें मानेकशॉ सेंटर की लाइब्रेरी से चीन से जुड़े साहित्य की नौ किताबें चोरी करने के आरोप में दो नवंबर को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन सात नवंबर को उनकी तिहाड़ जेल में रहस्यमय हालात में मौत हो गई. तिहाड़ जेल के अधिकरियों का कहना है कि उन्होंने छत से कूदकर आत्महत्या कर ली, जबकि घर वाले कह रहे हैं कि मुकेश की हत्या की गई है.
घर वालों के मुताबिक कैप्टन मुकेश चोपड़ा 1998 से कनाडा में रह रहे थे. उनके पास अमेरिकी नागरिकता भी थी. मुकेश चोपड़ा 31 अक्टूबर को अपने परिवार के किसी सदस्य का बर्थडे मनाने के लिए भारत आए थे. वे एक नवंबर को मानेकशॉ सेंटर गए. वहां ओपन लाइब्रेरी से उन्होंने कुछ बुक निकालीं. इसके बाद मिलिट्री पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया.
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उनके परिवार का कहना है कि उन पर चीन के लिए जासूसी करने के आरोप बेबुनियाद हैं. वे हांगकांग शॉपिंग करने के लिए जाते थे. हालांकि उन्हें क्लेप्टोमेनिया की बीमारी थी, जिसके चलते वे सामान उठा लेते थे. कनाडा में भी वे कई बार ऐसा कर चुके थे. घर वालों का कहना है कि नौकरी के दौरान उनसे एक कैमरा गायब हो गया था इसलिए उन्हें सेना ने 1983 में नौकरी से निकाल दिया था. लेकिन जासूसी की बात सही नहीं है.
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वहीं जांच एजेंसियों का कहना है कि मुकेश चोपड़ा के पास करोड़ो रुपये की एफडी मिली हैं. उनके मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है.
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