नई दिल्ली:
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत ने नए सिरे से गैर-जमानती वारंट जारी किया है, क्योंकि वह दो शिकायतों के जवाब देने के लिए अदालत में हाजिर नहीं हुए थे। इन शिकायतों में उन पर साल 2008 में उत्तर भारतीयों और खासतौर पर बिहारियों के खिलाफ घृणा फैलाने वाला भाषण देने का आरोप है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनीष यदुवंशी ने 31 अगस्त को जारी समन के जवाब में अदालत में उनके उपस्थित होने में विफल रहने और व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगने पर ठाकरे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया।
अदालत ने गौर किया कि एमएनएस प्रमुख के खिलाफ जमशेदपुर और मुजफ्फरपुर की अदालतों ने भी 16 दिसंबर, 2008 और 11 नवंबर, 2009 को क्रमश: गैर-जमानती वारंट जारी किए थे।
जमशेदपुर और मुजफ्फरपुर की अदालतों से गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों को पिछले साल दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। ठाकरे ने अपनी याचिका में कहा था कि वह अपनी जान को खतरा होने के कारण बिहार और झारखंड की अदालतों में उपस्थित नहीं हो सकते।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनीष यदुवंशी ने 31 अगस्त को जारी समन के जवाब में अदालत में उनके उपस्थित होने में विफल रहने और व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगने पर ठाकरे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया।
अदालत ने गौर किया कि एमएनएस प्रमुख के खिलाफ जमशेदपुर और मुजफ्फरपुर की अदालतों ने भी 16 दिसंबर, 2008 और 11 नवंबर, 2009 को क्रमश: गैर-जमानती वारंट जारी किए थे।
जमशेदपुर और मुजफ्फरपुर की अदालतों से गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों को पिछले साल दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। ठाकरे ने अपनी याचिका में कहा था कि वह अपनी जान को खतरा होने के कारण बिहार और झारखंड की अदालतों में उपस्थित नहीं हो सकते।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं