दिल्ली में कोरोनावायरस के मामलों के बीच ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. यहां गुरुवार को एक हाई लेवल मीटिंग करने के बाद दिल्ली सरकार ने अपने तीन अस्पतालों- लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में इसके इलाज के लिए विशेष केंद्र बनाए जाने की घोषणा की है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली में बुधवार तक सभी अस्पतालों में कुल मिलाकर ब्लैक फंगस के 197 केस थे, जिनमें दिल्ली के और दिल्ली से बाहर के मरीज़ भी शामिल हैं. ज़्यादातर देखने में आ रहा है कि अस्पताल से छुट्टी हो जाने के बाद लोग वापस आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बीमारी का इलाज बहुत मुश्किल है, ऐसे में अभी बचाव ही इलाज है.
किन लोगों में दिख रहा संक्रमण
उन्होंने संक्रमण के जो कारण देखने में आ रहे हैं, उनके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ब्लैक फंगस दो कारणों से हो रहा है, एक ब्लड में शुगर लेवल बढ़ना और दूसरा स्टेरॉइड की वजह से इम्यूनिटी का कम होना. स्वास्थ्य मंत्री ने सलाह दी कि 'स्टेरॉइड डॉक्टर की सलाह से ही लें. डॉक्टर की सलाह के बिना बिल्कुल ना लें. जब भी आप स्टेरॉइड लेते हैं तो आपकी इम्यूनिटी बिल्कुल कम हो जाती है. ब्लैक फंगस वातावरण में है. स्वस्थ व्यक्ति पर इसका कोई असर नहीं पड़ता लेकिन जिनकी इम्यीनिटी कम होती है उनको होने के चांस रहते हैं, इसलिए जिनको स्टेरॉइड दिए गए हैं, वो स्टेरॉयड बंद होने के एक सप्ताह तक पूरी तरह सतर्क रहें. शुगर लेवल को कंट्रोल करना बहुत ज़रूरी है. जो लोग डायबिटिक हैं, स्टेरॉइड लेने से उनका शुगर लेवल बढ़ जाता है. जितने दिन तक डॉक्टर कहें तभी तक लें, अपने आप से बिल्कुल भी न लें. ब्लैक फंगस में इलाज बहुत मुश्किल है इसलिए अच्छा है कि बचाव करें.'
ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कमी
सत्येंद्र जैन ने कहा कि 'इंजेक्शन की दिल्ली में ही नहीं बल्कि पूरे देश में दिक्कत है. इसको केंद्र सरकार ने अभी अपने कंट्रोल में किया है और सबको कोटे के हिसाब से दे रही है. दिल्ली को अभी उन्होंने 2,000 डोज़ देने के लिए कहा है जैसे ही मिलेगी हम अस्पतालों को दे देंगे. हॉस्पिटल में दे रहे हैं क्योंकि घरों में इसका इलाज नहीं हो सकता है.'
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उन्होंने बताया कि 'एक व्यक्ति को एक दिन 5-6 इंजेक्शन में लगते हैं. अगर ज़रूरत है 4 हजार की और हमें मिले 1 हज़ार तो पूरा हो ही नहीं सकता. यह ऑक्सीजन वाली बात ही हो गई कि अगर ज़रूरत थी 600 टन की, आपने दी 300 टन और फिर कहा कि ठीक से डिस्ट्रीब्यूट नहीं किया. दिल्ली में एक दिन में जितना पेट्रोल लगता है अगर उसका आधा कर दें और फिर कहें कि डिस्ट्रीब्यूशन ठीक कर दो तो उससे काम चल जाएगा लेकिन काम नहीं चलेगा. दिल्ली और पूरे देश में इसकी कमी है. कल हाई कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि जहां से भी उपलब्ध हो इसको इंपोर्ट करना चाहिए. यह दवाई अभी मेडिकल स्टोर से नहीं मिल सकती है. एक कमेटी बनाई है जिसे हॉस्पिटल वाले सीधे रेफर करेंगे और वहां से मिल जाएगी.'
दिल्ली में वैक्सीनेशन सेंटर बंद
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली में 18-44 साल तक के लिए मिली कोवैक्सीन पहले ही खत्म हो गई थी, कोवीशील्ड भी खत्म हो रही है. कई सारे सेंटर आज से बन्द हो रहे हैं. अगर 1 लाख डोज़ मिलती हैं तो वो एक दिन में ही लग जाएगी. उन्होंने कहा, 'हमारा डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बढ़िया है, बहुत तेज़ी से हम वैक्सीन लगा सकते हैं. जो केंद्र ने शेड्यूल दिया था उसमें तो बहुत थोड़ी सी वैक्सीन है. जितनी 1 महीने में वैक्सीन देते हैं वो तो 4-5 दिन की ही है. वैक्सीनेशन का पूरा सिस्टम कोविन सॉफ्टवेयर जो केंद्र सरकार का है उससे चलता है, कोई भी कंपनी जिससे हम वैक्सीन लेना चाहें किसी भी रेट पर हमें नहीं दे सकती जब तक कि केंद्र सरकार अनुमति न दे. पूरा कंट्रोल उनका है वो जिसको जितना देना चाहे देंगे.'
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क्या इस बार बच्चे ज़्यादा संक्रमित हुए हैं?
जैन ने बताया कि 'बच्चों का हॉस्पिटल में एडमिशन ज़्यादा नहीं बढ़ा है. इस बार पूरा परिवार संक्रमित हो रहा है लेकिन बच्चे बहुत ज़्यादा गंभीर नहीं हुए हैं. कितने बच्चे असप्तालों में एडमिट हुए हैं इसकी कुल संख्या बता दी जाएगी. पिछली बार जो पीक था वो 8,600 का था इस बार 28 हज़ार है. यानी 3 गुना था. उसी अनुपात में बच्चों का अस्पतालों में एडमिशन भी बढा है. इस बार जो ओवरऑल पीक है वो ही काफी ज्यादा था. इस बार तो बच्चे इतने प्रभावित नहीं हुए लेकिन जो अगला पीक हो सकता है उसमें एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि वो वेव बच्चों के लिए आएगी तो उसे लेकर हम तैयारी कर रहे हैं.'
बेड्स की स्थिति पर उन्होंने बताया कि दिल्ली में अभी 28,595 बेड हैं जिसमे से 16,712 बेड खाली हैं और ICU बेड की पहली बार स्थिति बेहतर लग रही है, अभी 1748 ICU बेड खाली हैं.
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