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This Article is From Nov 10, 2016

दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई आज

दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई आज
नई दिल्ली: पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह 48 घंटे में कोर्ट को बताए कि आपके पास पोल्यूशन जैसी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए क्या एक्शन प्लान है. राजधानी में प्रदूषण के कारण जो मौजूदा स्थिति उत्पन्न हुई है उससे निपटने के लिए क्या आपके पास कोई डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान हैं.

कोर्ट ने कहा था कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर काम करे. तमाम अथॉरिटी के बीच प्रदूषण को लेकर आपसी मतभेद की बातें जब सामने आई तब कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और तमाम अथॉरिटी से कहा है कि वह प्रदूषण की खतरनाक स्थिति से निपटने के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत काम करें. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि आप बताएं कि क्या आपके पास कोई डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान है? क्या आपके पास ऐसा क्यों प्लान है कि प्रदूषण के अमुक ग्रेड में अमुक कदम उठाए जाएंगे.

कोर्ट ने पूछा अलग-अलग पोल्यूशन ग्रेड से निपटने के लिए क्या है प्लान
मसलन ग्रेड ए के लिए अमुक एक्शन प्लान है और ग्रेड बी, सी, डी, ई के लिए अमुक एक्शन प्लान है. किस स्टेज पर क्या कदम उठाए जाएंगे कैसे डील किया जाएगा इसके लिए क्या प्लान है? अदालत ने कहा कि समय आ गया है कि आप इस ओर सोचें. अदालत ने केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार से कहा है कि वह बताएं कि प्रदूषण के खतरनाक स्थिति से निपटने के लिए क्या पॉलिसी है और साथ ही पूछा है कि ऐसी स्थिति में क्या केंद्र स्थिति को मॉनिटर कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण के अलग-अलग स्टेज के लिए एक्शन प्लान होना चाहिए कि क्या कदम उठाए जा सकते हैं. एक लेवल पर अमुक फैसला होगा वहीं दूसरे लेवल पर ऑड इवन, तीसरे लेवल पर स्कूल बंद जैसे तमाम उपाय के बारे में डिटेल पॉलिसी मांगी है.

20 मिनट की दूरी एक घंटा 20 मिनट में
वहीं मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि अन रेग्युलेटेड कमर्शलाइजेशन, इंडस्ट्रीलाइजेशन के कारण दिल्ली में मौजूदा स्थिति उत्पन्न हुई है. पिछले 60 सालों में जिस तरह से दिल्ली का विकास हुआ है वह अन रेग्युलेटेड अर्बनाइजेशन की तरह है. भीड़ के कारण 20 मिनट की दूरी एक घंटा 20 मिनट पर तय होती है और इस कारण प्रदूषण बढ रहा है. इसी बीच दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि सड़कों पर डस्ट की सफाई के लिए 6 वैक्यूम क्लीनर गाड़िया ली गई है जिनमें दो गाड़ियां काम शुरू कर चुकी है.

ईपीसीए की सुनीता नारायण ने कहा कि राजधानी दिल्ली में पब्लिक हेल्थ ईमरजेंसी की स्थिति है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जो आदेश पारित किया था उस पर कड़ाई से अमल की जरूरत है.

दिल्ली में आने वाले ट्रकों की मॉनिटरिंग कैसे?
मामले की सुनवाई के दौरानसुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली,हरियाणा और यूपी के वकीलों से जानना चाहा कि जिन ट्रकों का गणतव्य दिल्ली नहीं है उन्हें रोकने और मॉनिटर करने के लिए आप क्या कर रहे हैं. आप इसे कैसे रेग्युलेट कर रहे हैं. क्या आप ड्राइवर से पूछ रहे हैं कि वह कहां जा रहे हैं. पुलिस और टोल ऑपरेटरों को क्या ट्रेनिंग दी गई है. दिल्ली से पहले डायवर्जन के लिए क्या सेटअप है. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक काम हो रहा है. कोर्ट ने कहा कि जहां तक दो वैक्यूम क्लीनर के फंक्शनल का सवाल है तो कितने की जरूरत है सरकार कम टेंडर निकाल रही है. आपके पास कोई आंकलन है कि कितने की जरूरत है. दिल्ली सरकार की वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि 16 और खरीदे जाने हैं. ये मेन रोड पर इस्तेमाल होता है संकरी सड़कों पर नहीं.

बीजिंग और पेरिस का हवाला
एन्वायर्मेंट पोल्यूशन (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल) अथॉरिटी फॉर नैशनल कैपिटल रीजन (ईपीसीए) के मुताबिक पोल्यूशन कम करने के लिए इमरजेंसी एक्शन की जरूरत है. पोल्यूशन लेवल के आधार पर बाकी देशों में स्टेप बाइ स्टेप कदम उठाए जाते हैं. इसके लिए बीजिंग, पेरिस आदि का हवाला लेकर दिल्ली के लिए सुझाव दिया गया है.

बीजिंग में रेड अलर्ट डे में केजी, प्राइमरी और मिडल स्कूल बंद करने का प्रावधान है. साथ ही 80 फीसदी सरकारी कारों को सड़कों से हटा दिया जाता है. प्राइवेट कार एक दिन छोड़कर चलती हैं. कंस्ट्रक्शन साइट्स बंद किए जाते हैं. जिन फैक्ट्रियों से पोल्यूशन लेवल बढ़ता है उन्हें बंद किया जाता है. यूएस के शहरों में भी कई कदम उठाए जाते हैं. पेरिस में रेड डे के समय शहर में वाहनों की एंट्री रोक दी जाती है. शहर में डीजल कार पर रोक लगा दी जाती है.

दिल्ली में पोल्यूशन के तीन लेवल पर कदम उठाने का सुझाव
दिल्ली के बारे में ईपीसीए ने सुझाव दिया है कि तीन लेवल में अलग-अलग स्टेप की जरूरत है. पहले लेवल पर पेपर में विज्ञापन की जरूरत है कि सांस की बीमारी वाले लोग पोल्यूशन वाले इलाके में न जाएं. साथ ही बाहर न निकलने की सलाह दी जाए. दूसरे लेवल पर स्कूल बंद किए जाएं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट फ्री किया जाए साथ ही डीजल वाहन बैन किए जाएं और पार्किंग चार्ज डबल किया जाए. कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी भी बंद किया जाए. वेस्ट बर्निग बिल्कुल बर्दाश्त न किया जो. कोल पावर प्लांट बंद किए जाएं साथ ही कुछ समय के लिए ऑड इवन लागू किया जाए. तमाम तरह के फायर वर्क्स बैन हों. वहीं तीसरे लेवल में स्कूल बंद किए जाएं साथ ही तमाम तरह की प्राइवेट कारों को सड़कों से हटा लिया जाए. सिर्फ पब्लिक ट्रांसपोर्ट चले. कमर्शल व्हीकल की एंट्री भी बैन किया जाए.

 
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