वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को नया नौसेना प्रमुख बनाये जाने को लेकर अंडमान निकोबार कमांड के चीफ वाइस एडमिरल बिमल वर्मा (Bimal Verma) की वैधानिक याचिका रक्षा मंत्रालय ने खारिज़ कर दी है. वर्मा ने सरकार के इस फैसले को चुनौती दी है. मंत्रालय ने कहा कि केवल वरिष्ठता के आधार ही प्रमुख नहीं बनाया जा सकता है. इससे पहले भी जूनियर को सीनियर की जगह पर प्रमुख बनाया जा चुका है. सूत्रों के मुताबिक एडमिरल वर्मा को नेवी चीफ ना बनाये जाने के पीछे उनका ऑपरेशनल कमांड का अनुभव का ना होना. नेवी वॉर रूम लीक में उनके खिलाफ की गई टिप्पणी और पीवीएसएम का न मिलना आधार बनाया गया है.
वाइस एडमिरल वर्मा की बेटी रिया का कहना है कि जब सरकार पहले ही उनके पिता (Bimal Verma) के साथ अन्याय कर चुकी है तो फिर उससे न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है. इस फैसले को वाइस एडमिरल वर्मा सोमवार को आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल में चुनौती देंगे. ट्रिब्यूनल की सलाह पर ही वाईस एडमिरल वर्मा ने 11 अप्रैल को रक्षा मंत्रालय में वैधानिक शिकायत की थी. वाइस एडमिरल वर्मा का कहना है कि उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज कर उनके छह महीने जूनियर को सरकार नया नौसेना प्रमुख बनाने जा रही है. मौजूदा नौसेना प्रमुख एडिमरल सुनील लांबा 31 मई को रिटायर हो रहे हैं. उसके बाद ही वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को नौसेना प्रमुख का पदभार संभालना है.
वैसे सेना में अमूनन वरीष्ठता के आधार पर ही चीफ बनाया जाता है लेकिन मौजूदा सरकार ने दिसंबर 2016 में थल सेना प्रमुख के तौर जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति की जबकि उनसे दो वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल मौजूद थे. सेना के इतिहास में ये पहला मौका है कि किसी लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अफसर ने चीफ की नियुक्ति के मसले पर सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है.
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