तस्वीर सौजन्य : PTI
नई दिल्ली:
वायुसेना के लड़ाकू विमान अब महिलाएं भी उड़ाएंगी। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कर ने दी है। मंत्रालय ने यह फैसला भारतीय महिलाओं की आकांक्षाओं को देखते हुए लिया है। जब से महिलाओं ने हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट विमान उड़ाने शुरु किए हैं तब से उनका प्रदर्शन काफी बेहतर और पुरुषों की बराबरी का रहा है। लड़ाकू विमानों को उड़ाने से महिलाओं को पुरुषों के बराबर खुद को कॉम्बेट रोल में साबित करने का मौका मिलेगा।
पहले बैच का चयन ट्रेनिंग ले रही महिला पायलटों में से
पहली लड़ाकू महिला पायलट का बैच मौजूदा एयरफोर्स एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही महिला पायलटों में से चुना जाएगा। शुरुआती ट्रेनिंग के बाद उन्हें जून 2016 में लड़ाकू विमान पायलट के तौर पर कमीशंड कर लिया जाएगा। इसके बाद उन्हें एक साल तक एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी और 2017 में वो पूरी तरह से लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पायलट बन जाएंगी।
वायुसेना की हर ब्रांच के लिए सक्षम हुईं महिलाएं
फिलहाल भारतीय सेना में महिलाएं सिग्नल, इजीनियरिंग, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रानिक्स एंड मेकैनिकल इंजीनियर्स, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी आर्डिनेंस कोर, इंटेलिजेंस कोर, आर्मी एजुकेशन कोर और जज एडवोकेट जनरल ब्रांच में शामिल हैं। नौसेना में महिलाएं जज एडवोकेट जनरल, लॉजिस्टिक्स, आब्जर्वर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, नेवल कंस्ट्रक्टर और एजुकेशन विभाग में काम करती हैं। वहीं वायुसेना में महिलाएं ट्रांसपोर्ट, हेलीकॉप्टर उड़ाने के अलावा नेविगेशन, एरोनाटिकल इंजीनियरिंग, प्रशासन, लॉजिस्टिक्स, एकाउंट्स और मैट्रोलॉजी में काम करती हैं। लड़ाकू विमानों को उड़ाने का मौका मिलने के बाद महिलाएं वायुसेना की हर ब्रांच के लिए सक्षम हो गई हैं।
वायुसेना में 8.5 फीसदी महिलाएं
रक्षा मंत्रालय ने महिलाओं के परमानेंट और शार्ट सर्विस कमीशन को लेकर व्यापक समीक्षा की है। जब यह किसी नतीजे पर पहुंच जाएंगे तो सेना में महिलाओं के लिए और भी अवसर (ब्रांच ) खुल जाएंगे। इसी साल वायुसेना दिवस के मौके पर वायुसेना प्रमुख ने कहा था कि महिलाओं को जल्द ही लड़ाकू विमान उड़ाने का मौका मिलेगा। लेकिन न तो थल सेना में और न ही नौसेना में महिलाओं को कॉम्बेट रोल में जाने को मंजूरी मिली है। वैसे वायुसेना में महिलाओं की भागीदारी 8.5 फीसदी है जो कि तीनों सेनाओं में सबसे ज्यादा है। फिलहाल वायुसेना में करीब 1300 महिला अधिकारी हैं जिनमें महिला पायलटों की कुल संख्या 110 है।
इस फैसले पर पहुंचने में वायुसेना को कई साल लग गए। पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देश महिलाओं को फाइटर पायलट बनाने पर फैसला ले चुके हैं। बेशक यह देरी से लिया गया फैसला है, इससे पुरुषों के अधिपत्य वाले इस क्षेत्र में महिलाओं को अपनी योग्यता साबित करने का मौका देगा।
समय समय पर बदलाव
इससे पहले वायु सेना ने यह कहते हुए महिलाओं को लड़ाकू दस्ते में भर्ती नहीं किया है कि युद्ध के दौरान पकड़े जाने पर उनके प्रताड़ना या बलात्कार का खतरा हो सकता है। 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए थल और वायु सेना में महिलाओं के पूर्णकालिक सेवा को हरी झंडी दिखाई थी कि सरकार की तरफ से महिला अफसर कुछ बेहतर अवसरों की पात्रता रखती हैं।
पिछले महीने थल सेवा की महिला अफसरों ने तब बाज़ी मारी जब हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं की तरक्की के रास्ते में आने वाली किसी भी तरह की बाधा पर अदालत को आपत्ति होगी। पांच साल पहले तक सेना में महिला अफसर सिर्फ सीमित अवधि के लिए ही सेवा में रहती थीं। महिलाओं को लड़ाकू जहाज़ों पर जाने की अनुमति नहीं थी लेकिन शायद अब थल सेवा को भी अपने इस नियम की समीक्षा करनी पड़ सकती है।
पहले बैच का चयन ट्रेनिंग ले रही महिला पायलटों में से
पहली लड़ाकू महिला पायलट का बैच मौजूदा एयरफोर्स एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही महिला पायलटों में से चुना जाएगा। शुरुआती ट्रेनिंग के बाद उन्हें जून 2016 में लड़ाकू विमान पायलट के तौर पर कमीशंड कर लिया जाएगा। इसके बाद उन्हें एक साल तक एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी और 2017 में वो पूरी तरह से लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पायलट बन जाएंगी।
Flash: Ministry of Defence Approves induction of women into the Fighter (Combat) Stream of #IAF. @manoharparrikar
— Sitanshu Kar (@SpokespersonMoD) October 24, 2015
वायुसेना की हर ब्रांच के लिए सक्षम हुईं महिलाएं
फिलहाल भारतीय सेना में महिलाएं सिग्नल, इजीनियरिंग, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रानिक्स एंड मेकैनिकल इंजीनियर्स, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी आर्डिनेंस कोर, इंटेलिजेंस कोर, आर्मी एजुकेशन कोर और जज एडवोकेट जनरल ब्रांच में शामिल हैं। नौसेना में महिलाएं जज एडवोकेट जनरल, लॉजिस्टिक्स, आब्जर्वर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, नेवल कंस्ट्रक्टर और एजुकेशन विभाग में काम करती हैं। वहीं वायुसेना में महिलाएं ट्रांसपोर्ट, हेलीकॉप्टर उड़ाने के अलावा नेविगेशन, एरोनाटिकल इंजीनियरिंग, प्रशासन, लॉजिस्टिक्स, एकाउंट्स और मैट्रोलॉजी में काम करती हैं। लड़ाकू विमानों को उड़ाने का मौका मिलने के बाद महिलाएं वायुसेना की हर ब्रांच के लिए सक्षम हो गई हैं।
वायुसेना में 8.5 फीसदी महिलाएं
रक्षा मंत्रालय ने महिलाओं के परमानेंट और शार्ट सर्विस कमीशन को लेकर व्यापक समीक्षा की है। जब यह किसी नतीजे पर पहुंच जाएंगे तो सेना में महिलाओं के लिए और भी अवसर (ब्रांच ) खुल जाएंगे। इसी साल वायुसेना दिवस के मौके पर वायुसेना प्रमुख ने कहा था कि महिलाओं को जल्द ही लड़ाकू विमान उड़ाने का मौका मिलेगा। लेकिन न तो थल सेना में और न ही नौसेना में महिलाओं को कॉम्बेट रोल में जाने को मंजूरी मिली है। वैसे वायुसेना में महिलाओं की भागीदारी 8.5 फीसदी है जो कि तीनों सेनाओं में सबसे ज्यादा है। फिलहाल वायुसेना में करीब 1300 महिला अधिकारी हैं जिनमें महिला पायलटों की कुल संख्या 110 है।
इस फैसले पर पहुंचने में वायुसेना को कई साल लग गए। पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देश महिलाओं को फाइटर पायलट बनाने पर फैसला ले चुके हैं। बेशक यह देरी से लिया गया फैसला है, इससे पुरुषों के अधिपत्य वाले इस क्षेत्र में महिलाओं को अपनी योग्यता साबित करने का मौका देगा।
समय समय पर बदलाव
इससे पहले वायु सेना ने यह कहते हुए महिलाओं को लड़ाकू दस्ते में भर्ती नहीं किया है कि युद्ध के दौरान पकड़े जाने पर उनके प्रताड़ना या बलात्कार का खतरा हो सकता है। 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए थल और वायु सेना में महिलाओं के पूर्णकालिक सेवा को हरी झंडी दिखाई थी कि सरकार की तरफ से महिला अफसर कुछ बेहतर अवसरों की पात्रता रखती हैं।
पिछले महीने थल सेवा की महिला अफसरों ने तब बाज़ी मारी जब हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं की तरक्की के रास्ते में आने वाली किसी भी तरह की बाधा पर अदालत को आपत्ति होगी। पांच साल पहले तक सेना में महिला अफसर सिर्फ सीमित अवधि के लिए ही सेवा में रहती थीं। महिलाओं को लड़ाकू जहाज़ों पर जाने की अनुमति नहीं थी लेकिन शायद अब थल सेवा को भी अपने इस नियम की समीक्षा करनी पड़ सकती है।
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