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This Article is From Apr 21, 2022

भारत में गहराता कोयला संकट : करीब 30% थर्मल प्लांट्स के पास 10% से भी कम कोयला स्टॉक बचा

देश में कोयला संकट गहराता जा रहा है. पावर की डिमांड बढ़ती जा रही है लेकिन कोयले की कमी की वजह सेबिजली का प्रोडक्शन बाधित हो रहा है.

देश में कुल कोयला की ज़रूरत का 20% से कुछ ज्यादा ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों से आयात से पूरा होता है.

नई दिल्ली:

देश के कई बड़े थर्मल पावर प्लांट्स (Thermal Power Plants) कोयला संकट  (Coal Crises) से जूझ रहे हैं. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (Central Electricity crises) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक 19 अप्रैल, 2022 तक देश के करीब 30% थर्मल पावर प्लांट्स के पास 10% या उससे भी कम कोयला का स्टॉक बचा था. इसकी वजह से देश कई हिस्सों में डिमांड बढ़ने की वजह से पावर सप्लाई पर बुरा असर पड़ रहा है. देश में कोयला संकट गहराता जा रहा है. पावर की डिमांड बढ़ती जा रही है लेकिन कोयले की कमी की वजह सेबिजली का प्रोडक्शन बाधित हो रहा है.

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की ताज़ा डेली कोल स्टॉक रिपोर्ट के मुताबिक 19 April 2022 को देश के 164 बड़े थर्मल पावर प्लांट्स में से 27 थर्मल पावर प्लांट्स के पास 0% से 5% तक ही ज़रुरत का कोयला स्टॉक बचा था जबकि 21 थर्मल पावर प्लांट्स के पास 6% से 10% तक नोर्मेटिव स्टॉक के मुकाबले कोयला स्टॉक बचा था. यानी देश के 164 बड़े थर्मल पावर प्लांट्स में से 48 यानी 29.26% के पास 10% या उससे भी कम कोयले का स्टॉक बचा था. 

ज़ाहिर है, कोयले का संकट बड़ रहा है, और इससे निपटने की चुनौती भी. कोयले का संकट ऐसे वक्त पर खड़ा हुआ जब देश में बढ़ती गर्मी और आर्थिक गतिविधियों के तेज़ी से बढ़ने से ही बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है. कोयला मंत्रालय के मुताबिक कोयले के आयात में आई कमी कोयला संकट के पीछे सबसे बड़ी वजह है.

कोयला मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, देश में कुल कोयला की ज़रूरत का 20% से कुछ ज्यादा ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों से आयात से पूरा होता है. हाल के महीनों में अंतराष्ट्रीय बाजार में कोयला काफी ज्यादा महंगा हुआ है इस वजह से कोयला इम्पर्टरों ने आयत कम कर दिया है. हालांकि, हाल के दिनों में कोल इंडिया और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों ने कोयला का प्रोडक्शन बढ़ाया है.

बुधवार को कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ट्वीट कर कहा, 'कोल इंडिया लिमिटेड और दूसरे कैप्टिव ब्लॉक्स के पास 72 मीट्रिक टन कोयले का स्टॉक उपलब्ध है. अप्रैल महीने में ही कोयले का प्रोडक्शन 27% तक बढ़ा है और पिछले साल के मुकाबले थर्मल पावर स्टेशनों सप्लाई 14% तक बढ़ी है.' लेकिन इसके बावजूद कोयला के आयात में आयी कमी की भरपाई नहीं हो पा रही है. ज़ाहिर है, कोयले का संकट गहरा रहा है और इससे निपटना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.

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