प्रकाश पर्व दीपावली (Deepawali) से पहले बाज़ार में भारतीय सामानों की मांग ज़रूर बढ़ी है, लेकिन अब भी भारत में बनने वाली लाइट और दूसरे सामान, चीनी सामानों (Chinese Products) का सामना नहीं कर पा रहे हैं. चीन के सामान की तुलना में भारतीय सामान महंगा है और डिज़ाइन भी सीमित है. महानगर मुंबई के लोहार चॉल में लाइट की खरीदारी के लिए फिर से ग्राहक आते नज़र आ रहे हैं. सीमा विवाद के चलते चीनी सामान का बहिष्कार करने की लगातार उठ रही रही मांग के चलते ज्यादातर लोग भारतीय सामान की माँग कर रहे हैं.. लेकिन न तो भारतीय लाइट की डिज़ाइन अच्छी है. उल्टे भारतीय सामान का दाम भी चीनी सामानों से ज़्यादा है.
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लाइट विक्रेता गुड्डू कहते हैं,'कस्टमर को फैंसी डिजाइन चाहिए, वे इंडियन सामान में नहीं बन रहा है. वो नॉर्मल डिजाइन में आता है. लोग कहते हैं कि इंडियन सामान चाहिए, लेकिन उसका दाम भी ज़्यादा है, ऐसे में लोग चले जाते हैं. 90 फीसदी लोग चीनी सामान ही लेकर जा रहे हैं.' विक्रेताओं का भी कहना है कि गरीब व्यक्ति अधिक दामों में लाइट लेने में सक्षम नहीं है.. इसलिए न चाहते हुए भी उन्हें चीनी सामान रखना पड़ रहा है..
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लाइट विक्रेता मंगेश पवार बताते है, 'भारतीय सामान का दाम चीनी सामान से ज्यादा है, ज्यादातर गरीब लोग इसे खरीद नहीं पाएंगे. इसलिए वे चीनी प्रोडक्ट ही ले रहे हैं. हम भी चीनी सामान रखना नहीं चाहते हैं, लेकिन क्या करें..व्यापार करना है. वैसे मार्केट में ऐसे लोग भी हैं जो भारतीय कंपनियों की ओर बना सामान बेच रहे हैं.उनका कहना है कि धीरे-धीरे लोग इसे खरीदने लगे हैं. एक लाइट विक्रेता एजाज़ अहमद के अनुसार, 'हमसे लोग पूछते हैं यह मेड इन इंडिया है या चाइना.... हम बताते हैं कि इंडियन है. लोग पूछते हैं और अच्छे दाम में लेते हैं.
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