
नई दिल्ली:
सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली बम विस्फोट के दोषी देवेंदर पाल सिंह भुल्लर की अर्जी शुक्रवार को ठुकरा दी। 1993 में युवक कांग्रेस कार्यालय पर हुए बम हमले में नौ लोग मारे गए थे। भुल्लर को इस मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी। भुल्लर ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर विचार करने में हुई देरी के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय से फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की गुजारिश की थी।
भुल्लर को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पंजाब में सत्ताधारी गठबंधन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में मतभेद नजर आया। फैसले का स्वागत करते हुए
भाजपा ने कहा है कि इसका सम्मान किया जाना चाहिए, वहीं शिअद ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निराशाजनक कहा है।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी तथा न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा कि याची अपनी दया याचिका पर राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लेने में देरी के आधार पर मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने के पक्ष में पुख्ता तर्क नहीं दे सका। अदालत ने कहा, "याचिका खारिज की जाती है।"
भुल्लर को, दिल्ली में युवक कांग्रेस के दफ्तर में वर्ष 1993 में बम विस्फोट के लिए दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। हमले का निशाना युवक कांग्रेस के तत्कालीन नेता एमएस बिट्टा थे।
भुल्लर ने 14 जनवरी, 2003 को दया याचिका दायर की थी, जिसे राष्ट्रपति ने 25 मई, 2011 को खारिज कर दिया था।
दिल्ली की महानिदेशक (कारा) विमला मेहरा ने बताया कि भुल्लर तिहाड़ जेल में नहीं है।
भुल्लर का मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएचबीएएस) में इलाज चल रहा है। उसका इलाज कर रहे चिकित्सकों में से एक राजेश कुमार ने कहा, "भुल्लर अभी भी मानसिक रूप से अस्थिर है।"
कुमार ने कहा कि ढाई वर्ष से भुल्लर का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा, "उसके दिमागी तौर पर ठीक होने में कितना समय लगेगा यह कहना आसान नहीं है। हम उसकी हालत के बारे में तिहाड़ जेल के अधिकारियों से बातचीत करेंगे।"
उधर, तिहाड़ केंद्रीय कारा के प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि भुल्लर को ढाई वर्ष पूर्व मानसिक आरोग्यशाला में भेजा गया था और तभी से वह वहां रह रहा है।
गुप्ता ने कहा, "भारतीय कानून के मुताबिक किसी दोषी को तब तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक उसे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ न घोषित कर दिया जाए।"
एमएस बिट्टा ने भुल्लर की याचिका खारिज किए जाने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया।
बिट्टा ने कहा, "भुल्लर की फाइल गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय तथा दिल्ली सरकार के पास 15 वर्ष तक घूमती रही। मुझे उम्मीद नहीं थी कि भुल्लर को मौत की सजा हो पाएगी।" उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार ने भुल्लर को 'मानसिक रूप से बीमार' घोषित कर उसे बचाने की कोशिश कर रही है।
इस बीच, कांग्रेस ने कहा कि वह भुल्लर की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करती है।
कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा, "हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं।"
भुल्लर को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पंजाब में सत्ताधारी गठबंधन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में मतभेद नजर आया। फैसले का स्वागत करते हुए
भाजपा ने कहा है कि इसका सम्मान किया जाना चाहिए, वहीं शिअद ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निराशाजनक कहा है।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी तथा न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा कि याची अपनी दया याचिका पर राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लेने में देरी के आधार पर मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने के पक्ष में पुख्ता तर्क नहीं दे सका। अदालत ने कहा, "याचिका खारिज की जाती है।"
भुल्लर को, दिल्ली में युवक कांग्रेस के दफ्तर में वर्ष 1993 में बम विस्फोट के लिए दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। हमले का निशाना युवक कांग्रेस के तत्कालीन नेता एमएस बिट्टा थे।
भुल्लर ने 14 जनवरी, 2003 को दया याचिका दायर की थी, जिसे राष्ट्रपति ने 25 मई, 2011 को खारिज कर दिया था।
दिल्ली की महानिदेशक (कारा) विमला मेहरा ने बताया कि भुल्लर तिहाड़ जेल में नहीं है।
भुल्लर का मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएचबीएएस) में इलाज चल रहा है। उसका इलाज कर रहे चिकित्सकों में से एक राजेश कुमार ने कहा, "भुल्लर अभी भी मानसिक रूप से अस्थिर है।"
कुमार ने कहा कि ढाई वर्ष से भुल्लर का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा, "उसके दिमागी तौर पर ठीक होने में कितना समय लगेगा यह कहना आसान नहीं है। हम उसकी हालत के बारे में तिहाड़ जेल के अधिकारियों से बातचीत करेंगे।"
उधर, तिहाड़ केंद्रीय कारा के प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि भुल्लर को ढाई वर्ष पूर्व मानसिक आरोग्यशाला में भेजा गया था और तभी से वह वहां रह रहा है।
गुप्ता ने कहा, "भारतीय कानून के मुताबिक किसी दोषी को तब तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक उसे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ न घोषित कर दिया जाए।"
एमएस बिट्टा ने भुल्लर की याचिका खारिज किए जाने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया।
बिट्टा ने कहा, "भुल्लर की फाइल गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय तथा दिल्ली सरकार के पास 15 वर्ष तक घूमती रही। मुझे उम्मीद नहीं थी कि भुल्लर को मौत की सजा हो पाएगी।" उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार ने भुल्लर को 'मानसिक रूप से बीमार' घोषित कर उसे बचाने की कोशिश कर रही है।
इस बीच, कांग्रेस ने कहा कि वह भुल्लर की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करती है।
कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा, "हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं।"
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