गुजरात में संदिग्ध परिस्थितियों में पुलिस हिरासत में 35 वर्षीय व्यक्ति की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को दो महीने में पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने गुजरात के वकील के इस आग्रह को खारिज कर दिया कि मुआवजे के विषय में पहले ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा विचार किया जा चुका है. उन्होंने पीड़ित परिवार को एक लाख रुपये मुआवजा देने को कहा था.
यह आदेश अशोकभाई बालूमल दासानी द्वारा पुलिस हिरासत में अपने भाई की मौत के लिए मुआवजे और सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने के लिए दायर एक याचिका पर दिया गया.
पीठ ने कहा कि तथ्यों का वर्णन बताता है कि मृतक को 03-07-2005 को करेलीबाग पुलिस स्टेशन लाया गया था और उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. यह नोट करना प्रासंगिक है कि मृतक लगभग 35 वर्ष का था और टूर एंड ट्रैवल एजेंसियों के साथ काम कर रहा था. मृतक अपने भाई के साथ परिवार की मदद कर रहा था.
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यह याचिका गुजरात हाईकोर्ट द्वारा पारित 2-2-2018 के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई थी जिसमें पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत के बारे में केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी स्वतंत्र एजेंसी को जांच स्थानांतरित करने, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की रिट याचिका को खारिज कर दिया गया था.
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