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This Article is From Dec 14, 2016

तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ का कैसे हुआ नवीनीकरण? FCRA का सर्वर हैक होने की आशंका

तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ का कैसे हुआ नवीनीकरण? FCRA का सर्वर हैक होने की आशंका
तीस्ता सीतलवाड़ (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ को मंगलवार को मिली विदेशी चंदा लेने की मंजूरी के बाद मचे हड़कंप से हरकत में आए गृह मंत्रालय ने आनन-फानन में एनजीओ के लाइसेंस को रद्द कर दिया. सरकार के इस कदम से मंत्रालय की एफसीआरए साइट पर हैकर्स का हमला होने के कयास लगाए जा रहे हैं.

गौरतलब है कि कल यानी मंगलवार को गृह मंत्रालय से जानकारी मिली थी कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद द्वारा संचालित एनजीओ 'सिटिजन फार जस्टिस एंड पीस'(सीजेपी) के विदेशी चंदा नियमन कानून के तहत पंजीकरण का नवीनीकरण किए जाने की खबर आई थी. पूर्व अनुमति श्रेणी में होने के बावजूद सीजेपी के एफसीआरए पंजीकरण का नवीनीकरण किया गया. पूर्व अनुमति श्रेणी वाले एनजीओ को विदेशी चंदा लेने से पहले सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है.

इस ख़बर के चर्चा में आने के बाद बुधवार को गृह मंत्रालय ने तीस्ता के 'सबरंग,' 'सिटिज़ेंज़ फ़ोर जस्टिस' तथा एक अन्य एनजीओ 'ग्रीनपीस इंडिया' के लाइसेंस रद्द कर दिए. इन एनजीओ को ऑटो क्लीरन्स मिल गया था. सरकार ने लाइसेंस रद्द करने के बाद स्वीकार किया कि यह संवेदनशील मामला है और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एफसीआरए की साइट का सर्वर हैक हो गया है. सरकार ने पूरे मामले की जांच कंप्यूटर इमरजेंसी रिसपोंस टीम (सर्ट) को सौंप दी है. सर्ट भारत सरकार की वह शाखा है जो हैकिंग और साइबर थ्रेट जैसे मामलों की जांच करती है.

इस मामले के बाद मंत्रालय ने अब तक 13000 गैर-सरकारी संगठनों के लाइसेंस की नवीनीकरण की जांच करने के भी आदेश दिए हैं, जिनको विदेशी चंदा मिलता है. साथ में मंत्रालय ने यह नियम भी बना दिया है कि अब संवेदनशील एनजीओ की फाइलों की जांच संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी करेंगे. ग्रीन पीस, सबरंग ट्रस्ट और सीटीजेन फ़ोर जस्टिस एंड पीस के लिसेंज़ रद्द कर दिए गए हैं यानी अब इनके विदेश से फ़ंडिंग नहीं मिल सकती.

ये पहली बार नहीं है जब मंत्रालय को इस तरह का विवाद झेलना पड़ा हो. चार महीने पहले भी ज़ाकिर नाइक के एनजीओ इस्लामिक रीसर्च फ़ाउंडेशन का भी लाइसेन्स अपने आप ऑटो क्लीर हो गया था. उस विवाद के बाद गृह मंत्रालय के कई अफसरों पर निलंबन की गाज गिरी थी.

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