राफेल सौदा : दसॉल्ट के CEO एरिक ट्रैपियर
नई दिल्ली:
राफेल सौदे पर विमान बनाने वाली फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा है कि मुकेश अंबानी को उनकी कंपनी ने खुद चुना है. उन्होंने कहा है कि रिलायंस के अलावा 30 और भी साझीदार हैं. कंपनी के सीईओ ने कहा कि भारतीय एयरफोर्स इस सौदे का समर्थन कर रही है क्योंकि उसको इन विमानों की जरूरत है. एरिक ट्रैपियर ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए बयान में कहा, 'अम्बानी को हमने खुद चुना था. हमारे पास रिलायंस के अलावा भी 30 पार्टनर पहले से हैं. भारतीय वायुसेना सौदे का समर्थन कर रही है, क्योंकि उन्हें अपनी रक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाए रखने के लिए लड़ाकू विमानों की ज़रूरत है." ट्रैपियर ने कहा, "36 विमानों की कीमत बिल्कुल उतनी ही है, जितनी 18 तैयार विमानों की तय की गई थी. 36 दरअसल 18 का दोगुना होता है, सो, जहां तक मेरी बात है कीमत भी दोगुनी होनी चाहिए थी लेकिन चूंकि यह सरकार से सरकार का मामला था, इसलिए कीमतें उन्होंने तय कीं, और मुझे भी कीमत को नौ फीसदी कम करना पड़ा.' कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया में एरिक ट्रैपियर ने कहा, "मैं झूठ नहीं बोलता. जो सच मैंने पहले कहा था, और जो बयान मैंने दिए, वे सच हैं. मेरी छवि झूठ बोलने वाले की नहीं है. CEO के तौर पर मेरी स्थिति में रहकर आप झूठ नहीं बोलते हैं."
इधर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दिए गए दस्तावेज के मुताबिक केंद्र सरकार ने कहा है कि राफेल सौदे पर मई 2015 से अप्रैल 2016 के बीच भारतीय वार्ता दल (आईएनटी) की 74 बैठक हुईं जिनमें से 26 फ्रांसीसी पक्ष के साथ थीं. आईएनटी का गठन 36 राफेल विमानों की खरीद के लिये नियम व शर्तों पर बातचीत के लिये किया गया था. आईएनटी की अध्यक्षता वायुसेना के उप प्रमुख (डीसीएएस) कर रहे थे और इसमें संयुक्त सचिव और अधिग्रहण प्रबंधक (एयर), संयुक्त सचिव (रक्षा ऑफसेट प्रबंधन शाखा), संयुक्त सचिव और अतिरिक्त वित्तीय सलाहकार, वित्त प्रबंधक (एयर), सलाहकार (लागत) और सहायक वायुसेना प्रमुख (योजना) भारत सरकार की तरफ से सदस्य के तौर पर शामिल थे. इसमें कहा गया कि फ्रांसीसी पक्ष का नेतृत्व महानिदेशक आयुध (डीजीए), फ्रांस सरकार का रक्षा मंत्रालय कर रहे थे.
केंद्र ने सर्वोच्च अदालत को बताया, ‘‘आईएनटी और फ्रांसीसी पक्ष के बीच बातचीत मई 2015 में शुरू हुई और अप्रैल 2016 तक जारी रही. बातचीत के दौरान कुल 74 बैठकों में से 48 बैठकें आईएनटी की आंतरिक थी जबकि 26 बैठकें फ्रांसीसी पक्ष के साथ हुईं. गौरतलब है कि राफेल सौदे को लेकर देश में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष भाजपा नीत केंद्र सरकार पर लगातार हमले बोल रहा है.
इधर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दिए गए दस्तावेज के मुताबिक केंद्र सरकार ने कहा है कि राफेल सौदे पर मई 2015 से अप्रैल 2016 के बीच भारतीय वार्ता दल (आईएनटी) की 74 बैठक हुईं जिनमें से 26 फ्रांसीसी पक्ष के साथ थीं. आईएनटी का गठन 36 राफेल विमानों की खरीद के लिये नियम व शर्तों पर बातचीत के लिये किया गया था. आईएनटी की अध्यक्षता वायुसेना के उप प्रमुख (डीसीएएस) कर रहे थे और इसमें संयुक्त सचिव और अधिग्रहण प्रबंधक (एयर), संयुक्त सचिव (रक्षा ऑफसेट प्रबंधन शाखा), संयुक्त सचिव और अतिरिक्त वित्तीय सलाहकार, वित्त प्रबंधक (एयर), सलाहकार (लागत) और सहायक वायुसेना प्रमुख (योजना) भारत सरकार की तरफ से सदस्य के तौर पर शामिल थे. इसमें कहा गया कि फ्रांसीसी पक्ष का नेतृत्व महानिदेशक आयुध (डीजीए), फ्रांस सरकार का रक्षा मंत्रालय कर रहे थे.
केंद्र ने सर्वोच्च अदालत को बताया, ‘‘आईएनटी और फ्रांसीसी पक्ष के बीच बातचीत मई 2015 में शुरू हुई और अप्रैल 2016 तक जारी रही. बातचीत के दौरान कुल 74 बैठकों में से 48 बैठकें आईएनटी की आंतरिक थी जबकि 26 बैठकें फ्रांसीसी पक्ष के साथ हुईं. गौरतलब है कि राफेल सौदे को लेकर देश में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष भाजपा नीत केंद्र सरकार पर लगातार हमले बोल रहा है.
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