राफेल विवाद के बीच डसॉल्ट के सीईओ ऐरिक ट्रैपियर ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने बुधवार को कहा कि राफेल डील में कोई घोटाला नहीं हुआ है. हमें 36 लड़ाकू विमान का ऑर्डर मिला था जिसे हम पूरा करने जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि हमें भारत में एक सप्लाई चेन की जरूरत थी जिसके लिए हमें भारत में पार्टनर चाहिए था. इसके लिए हमनें ऑफसेट पार्टनर्स का चुनाव किया. गौरतलब है कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब डसॉल्ट के सीईओ ने इस डील को लेकर कोई बयान दिया हो. इससे पहले राफेल पर जारी घमासान के बीच कांग्रेस ने डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के सीईओ का वीडियो ट्वीट किया था. डसॉल्ट वही कंपनी है जो राफेल लड़ाकू विमान बनाती है. कांग्रेस द्वारा जारी किए गए इस वीडियो में राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट के सीईओ हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ समझौते की बात कर रहे थे. ये वीडियो प्रधानमंत्री मोदी के फ्रांस दौरे से से 17 दिन पहले का बताया जा रहा है. इसी दौरे में डील पर दस्तख़त हुए, लेकिन एचएएल को डिल में जगह नहीं मिली.
Dassault Aviation CEO Eric Trappier at #AeroIndia2019 in Bengaluru: We are more than proud to show today in our stand what we have produced in Nagpur, the first Falcon 2000 cockpit manufactured under the 'Make in India' policy in one year. pic.twitter.com/HGYbxfhUZ4
— ANI (@ANI) February 20, 2019
ये वीडियो 25 मार्च 2015 का है. इस कार्यक्रम में राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रेपियर ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के चेयरमैन की मौजूदगी में उम्मीद जताई थी कि जल्द ही डसॉल्ट और एचएएल के समझौते पर मुहर लग जाएगी. एरिक ट्रेपियर के इस बयान से साफ़ है कि भारत में 108 राफेल बनाने के लिए डसॉल्ट एचएएल के साथ समझौते के काफ़ी क़रीब था, लेकिन 17 दिन बाद 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मोदी के फ्रांस दौरे पर जब राफ़ेल डील हुई तो लड़ाकू विमानों की तादाद 126 की बजाय सिर्फ 36 हो गई. साथ ही एचएएल की विमान बनाने की डील की जगह अनिल अंबानी के रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट प्रोजेक्ट के लिए चुन लिया गया. कांग्रेस पूछ रही है कि इस बीच में क्या बदल गया.
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उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राफेल मामले में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) केवी चौधरी से मुलाकात की थी और कहा था कि यह ‘रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा घोटाला' है और इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर सारे रिकॉर्ड की छानबीन की जाए. उन्होंने यह भी कहा था कि इस विमान सौदे से जुड़े सारे कागाजात और फाइलें जब्त की जाएं क्योंकि इनको नष्ट किए जाने की आशंका है.
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सीवीसी से मुलाकात के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा था कि कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने सीवीसी से मुलाकात की और उन्हें विस्तृत ज्ञापन सौंपा. यह भारत में रक्षा खरीद का सबसे बड़े घोटाला है. यह विमान सौदा प्रधानमंत्री का एकतरफा फैसला था. सुरक्षा मामले की कैबिनेट समिति की अनुमति के बगैर उन्होंने सौदा बदला. इसमें रक्षा खरीद प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ है.' उन्होंने कहा था कि सरकार झूठ बोल रही है और छिप रही है. हमने मांग की है कि प्राथमिकी दर्ज की जाए. सारे कागजात और फाइलें जब्त की जाएं. आशंका यह है कि कागजात और फाइलें नष्ट की जा सकती हैं. इसलिए सीवीसी तत्काल कदम उठाए.'
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राफेल डील पर कांग्रेस के आरोपों का जवाब देने के लिए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मोर्चा संभाला और कांग्रेस से पूछा कि इन आरोपों के पीछे आखिर उसका मकसद क्या है. उन्होंने कहा था कि देश ने वर्तमान में जो डील की है वह यूपीए से 20 फीसदी सस्ती है. कांग्रेस सिर्फ राजनीति के लिए राफेल डील को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है.
VIDEO: राफेल डील पर विपक्ष का हमला.
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