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This Article is From Nov 15, 2015

दलाई लामा के एक बयान से ट्विटर पर मचा घमासान, करने लगे ट्रेंड

दलाई लामा के एक बयान से ट्विटर पर मचा घमासान, करने लगे ट्रेंड
दलाई लामा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: तिब्बती धर्मगुरु और प्रमुख 14वें दलाई लामा तेनजिन ज्ञात्सो ने बिहार चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद कहा कि हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव के परिणाम से यह साबित हो गया है कि यहां रहने वाले हिंदू समुदाय के एक बड़े वर्ग को शांति और आपसी भाईचारे में अब भी भरोसा है।

उनका यह बयान देश के मौजूदा माहौल में विपक्ष के ‘मुल्क में फैली असहिष्णुता’ के दावे के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में आया था। दलाई लामा के इस बयान के बाद ट्विटर में उनके पक्ष और विरोध में तमाम तर्क और बयानों की बाढ़ से आ गई। असर यह हुआ है कि देखते देखते दलाई लामा ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे।

दलाई लामा पर सबसे पहले बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सीधे हमला बोला और कहा कि उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि दलाई लामा का यह बयान बताता है कि उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है।
इतना ही नहीं, कांग्रेस पार्टी के नेता शकील अहमद ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि पार्टी दलाई लामा के बयान से पूरी तरह सहमत है।
 
कांग्रेस पार्टी की अन्य नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा कि जहां अमिताभ बच्चन भी टैगोर के विचारों का समर्थन कर रहे हैं और दलाई लामा हिंदुओं को शांतिप्रिय बता रहे हैं, ऐसे में भक्तों का नाराज होना लाजमी है।
 
आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी मरलेना ने ट्वीट कर लिखा है कि वह अब इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब कोई भक्त यह लिखता है कि दलाई लामा पाकिस्तानी एजेंट हैं।
 
फिल्मकार अशोक पंडित ने भी दलाई लामा पर सीधे हमला करते हुए कहा कि अगर हम शांति और भाईचारा में यकीन नहीं करते तो आपको यहां शरण नहीं दी गई होती। हमें भाषण देना बंद करें।
 
अरुण मैसूर नाम के शख्स ने तो लिख दिया है कि अब दलाई लामा की सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी।
 
सुनील बत्रा नाम के शख्स ने लिखा है कि भारत के हिन्दू शांतिप्रिय और सहिष्णु हैं। उन्होंने कहा कि दलाई लामा ने किसी और धर्म के लोगों के बारे में नहीं कहा है।
 
प्रे फॉर पीस नाम से ट्वीट करने वाली कोमल ने सवाल उठाया है कि आरएसएस, अनुपम खेर, चेतन भगत जैसे लोग अराजनीतिक होते हुए भी राजनीतिक टिप्पणियां कर सकते हैं लेकिन दलाई लामा धर्मगुरु होते हुए राजनीतिक टिप्पणी नहीं कर सकते।
कुछ लोगों ने तो इस बात पर ही आश्चर्य जताया है कि मोदी भक्त हिंदुओं को शांतिप्रिय कहे जाने पर दलाई लामा की निंदा क्यों कर रहे हैं यह समझ से परे है। ट्विटर पर कुछ लोग सरकार को यह भी सलाह देने से बाज नहीं आए कि भारत में शरण पाए दलाई लामा को अब दरवाजा दिखा दिया जाना चाहिए।

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