गृह मंत्री राजनाथ सिंह की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
साइबर अपराध से जुड़े मामलों में 70 फीसदी बढ़ोत्तरी होने के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि सुरक्षा विशेषज्ञों को भारतीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के ऑनलाइन प्रयासों के खिलाफ चौकस रहना होगा। सिंह ने सूचना सुरक्षा सम्मेलन ‘ग्राउंड जीरो समिट 2015’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि विश्व में साइबर अपराध के साथ साइबर आतंकवाद बड़ा खतरा है।
उन्होंने कहा, ‘प्रोद्योगिकी और इंटरनेट के चलते आज दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाला व्यक्ति ऐसी सूचनाओं तक पहुंच बना सकता है जिससे वह किसी आतंकी समूह के साथ नहीं जुड़े होने के बावजूद आतंकी कार्रवाई में शामिल हो सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसी ताकतें साइबर जगत में भी सक्रिय हैं जो युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की दिशा में प्रयास करती हैं। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को ऑनलाइन कट्टरपंथ की दिशा में खासतौर पर चौकस रहना होगा।’ गृहमंत्री ने कहा कि भूमि, वायु, जल और अंतरिक्ष आयामों के साथ अब सुरक्षा के पांचवे आयाम के रूप में साइबर जगत भी जुड़ गया है।
उन्होंने कहा कि साइबर जगत से जुड़ा अपराध बहु आयामी, बहु स्थानिक, बहु भाषी और बहु सांस्कृतिक हो सकता है और यही कारण है कि इसकी जांच करना और अपराधियों तक पहुंचना कठिन होता है।
उन्होंने देश में साइबर अपराध और इससे जुड़े मामलों की बढ़ती दर को लेकर भी चिंता जाहिर की। गृहमंत्री ने कहा कि वर्ष 2013 के मुकाबले 2014 में साइबर अपराध से जुड़े मामलों में 70 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। वर्ष 2012 के मुकाबले 2013 में यह वृद्धि 64 फीसदी थी।
गृह मंत्रालय ने हाल में कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी और ऑनलाइन उत्पीड़न सहित सभी साइबर अपराध पर काबू पाने के लिए सरकार 400 करोड़ रुपये की लागत से जल्द ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आईसी-4) की स्थापना करेगी। साइबर अपराध से प्रभावी तरीके से निपटने की दिशा में रोडमैप तैयार करने के लिए गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपने के बाद यह पहल की जा रही है।
आईसी-4 की प्राथमिकताओं में भारत सरकार के आधिकारिक संचार तंत्र में घुसपैठ और उन्हें हैक करने की कोशिश करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोहों की कोशिशों पर लगाम लगाना शामिल है।
आईसी-4 के मुख्य उद्देश्यों में साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई में एक नोडल प्वाइंट और साइबर अपराध की सक्रिय निगरानी के साथ विधि प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक तत्काल चेतावनी प्रणाली के तौर पर काम करना शामिल है। आईसी-4 एक सार्वजनिक मंच भी उपलब्ध कराएगा जहां पीड़ित साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
उन्होंने कहा, ‘प्रोद्योगिकी और इंटरनेट के चलते आज दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाला व्यक्ति ऐसी सूचनाओं तक पहुंच बना सकता है जिससे वह किसी आतंकी समूह के साथ नहीं जुड़े होने के बावजूद आतंकी कार्रवाई में शामिल हो सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसी ताकतें साइबर जगत में भी सक्रिय हैं जो युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की दिशा में प्रयास करती हैं। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को ऑनलाइन कट्टरपंथ की दिशा में खासतौर पर चौकस रहना होगा।’ गृहमंत्री ने कहा कि भूमि, वायु, जल और अंतरिक्ष आयामों के साथ अब सुरक्षा के पांचवे आयाम के रूप में साइबर जगत भी जुड़ गया है।
उन्होंने कहा कि साइबर जगत से जुड़ा अपराध बहु आयामी, बहु स्थानिक, बहु भाषी और बहु सांस्कृतिक हो सकता है और यही कारण है कि इसकी जांच करना और अपराधियों तक पहुंचना कठिन होता है।
उन्होंने देश में साइबर अपराध और इससे जुड़े मामलों की बढ़ती दर को लेकर भी चिंता जाहिर की। गृहमंत्री ने कहा कि वर्ष 2013 के मुकाबले 2014 में साइबर अपराध से जुड़े मामलों में 70 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। वर्ष 2012 के मुकाबले 2013 में यह वृद्धि 64 फीसदी थी।
गृह मंत्रालय ने हाल में कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी और ऑनलाइन उत्पीड़न सहित सभी साइबर अपराध पर काबू पाने के लिए सरकार 400 करोड़ रुपये की लागत से जल्द ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आईसी-4) की स्थापना करेगी। साइबर अपराध से प्रभावी तरीके से निपटने की दिशा में रोडमैप तैयार करने के लिए गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपने के बाद यह पहल की जा रही है।
आईसी-4 की प्राथमिकताओं में भारत सरकार के आधिकारिक संचार तंत्र में घुसपैठ और उन्हें हैक करने की कोशिश करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोहों की कोशिशों पर लगाम लगाना शामिल है।
आईसी-4 के मुख्य उद्देश्यों में साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई में एक नोडल प्वाइंट और साइबर अपराध की सक्रिय निगरानी के साथ विधि प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक तत्काल चेतावनी प्रणाली के तौर पर काम करना शामिल है। आईसी-4 एक सार्वजनिक मंच भी उपलब्ध कराएगा जहां पीड़ित साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
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