नोटबंदी का असर : जहां-तहां ट्रक खड़े, सब्‍जी-भाजी की आवक भी प्रभावित

नोटबंदी का असर : जहां-तहां ट्रक खड़े, सब्‍जी-भाजी की आवक भी प्रभावित

मुंबई:

500 -1,000 रुपये की नोटबंदी का असर दिखने लगा है, सब्ज़ी-भाजी की मंडी में आवक तो प्रभावित हुई ही है, कई ट्रक भी जहां-तहां खड़े हैं. ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि रोज़ाना उनके पैसे निकासी की सीमा नहीं बढ़ाई गई तो फिर चक्का पूरी तरह जाम हो सकता है.

ट्रक मालिकों का कहना है कि देश भर में 93 लाख ट्रकों में सिर्फ दस फीसद ही चल रहे हैं, महाराष्ट्र में रोज़ाना 12 लाख ट्रक आते थे अब बमुश्किल डेढ़ लाख आ रहे हैं. ट्रक मालिकों के मुताबिक एक गाड़ी को रोज़ चलाने का खर्चा 20,000 रुपये है. ऐसे में निकासी की सीमा बढ़ाये बगैर ट्रक चलाना मुश्किल होगा.

एफएमटी के अध्यक्ष बलजीत सिंह ने कहा कि ड्राइवरों को रोज़ नकदी की ज़रूरत होती है, एक मोटे अनुमान के मुताबिक दस ट्रक चलाने के लिये हमें रोज़ एक लाख रुपये कैश चाहिये जबकि हम निकाल सकते हैं सिर्फ 24000 रुपये, ऐसे में गाड़ियां बंद करने की नौबत आ गई है.
 
ट्रकों की कमी का सीधा असर नवी मुंबई के वाशी स्थित एपीएमसी के थोक आलू-प्याज बाजार के व्यापारियों पर भी पड़ा है. थोक व्यापारी मनोहर तोतलानी और आरिफ ने बताया कि नई करेंसी नोटों की कमी के चलते उनकी मंडी का व्यापार करीब 40 पर्सेंट तक कम हो गया है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर अगले दो-से तीन दिनों में ग्राहकी नहीं बढ़ी तो उनके पास जमा स्टॉक में से करीब 20 पर्सेंट आलू-प्याज सड़ जायेगा और उसे फेंकने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचेगा.

बिक्री में आई कमी के चलते थोक बाजार में आलू और प्याज के दाम भी घट गए हैं. ये सड़ जाएं इसके पहले व्यापारी इन्हें बेचकर होने वाले संभावित नुकसान को कम से कम पर रोक लेना चाहते हैं.  400 बोरियों वाले ट्रक में से 50 बोरी माल फेंकना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि आलू-प्याज की पूरी थोक मंडी बिना पर्याप्त ग्राहकों के सुनसान दिख रहा है.
(इनपुट : सुरेश दास)  

 


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