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This Article is From Jan 15, 2016

विश्व पुस्तक मेले में चाय पर क्रैश कोर्स

विश्व पुस्तक मेले में चाय पर क्रैश कोर्स
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: भले ही आजकल के जमाने में पश्चिमी परंपरा के कॉफी शॉप्स का जमाना हो लेकिन आज भी देशभर में चाय का स्वाद अमूमन सभी को लुभाता है। चाय से पड़ोसी देश चीन और भारत दोनों का ही सदियों पुराना गहरा संबंध है और यहां प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में चीन और भारत का यही संबंध चाय के साथ दृष्टिगत हो रहा है। चीन इस मेले में अतिथि देश के तौर पर पधारा है।

यह माना जाता है कि चाय की उत्पत्ति दक्षिणी पश्चिमी चीन में शांग वंश के शासन के दौरान हुई थी। उस समय इसका प्रयोग औषधि के तौर पर होता था। यहां मेले में चीन के जेझियांग कृषि एवं वानिकी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ टी कल्चर ने एक स्टॉल लगाया है जो प्रोग्राम्स इन टी कल्चर में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने वाला चीन में अपने तरह का पहला संस्थान है।

पुस्तक मेले में आने वाले दर्शक भी यहां पर चाय की उत्पत्ति और विकास में लघु पाठ्यक्रम यानी क्रैश कोर्स को आजमा सकते हैं। यहां पर मौजूद प्रस्तोता पारंपरिक परिधानों में सज्जित हैं और चीन की विभिन्न किस्मों की चाय और उन्हें बनाने के पारंपरिक तरीके की जानकारी दे रहे हैं।

पुस्तक मेले में स्टॉल पर प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद डेविड शाओ ने बताया कि इस प्रदर्शनी को लगाने की वजह लोगों को चीनी संस्कृति से अवगत कराना है और साथ ही यह बताना भी कि चीन में सदियों पहले इसका प्रयोग एक औषधि के तौर पर होने लगा था।

इस स्टॉल पर चीन की 60 से ज्यादा किस्मों की चाय मौजूद है। ये यहां पर छह अलग-अलग स्वादों मसलन काली चाय, पीली चाय, सफेद चाय, ग्रीन टी, डार्क टी और उलोंग टी के रूप में मौजूद हैं और दर्शक हर चाय का एक स्वाद यहां चख सकते हैं और अपने साथ छोटा पैकेट भी घर भी ले जा सकते हैं। पुस्तक मेला नौ जनवरी से शुरू हुआ है और यह 17 जनवरी तक चलेगा।

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