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This Article is From Jun 12, 2020

सरकार की डिस्चार्ज पॉलिसी पर सवाल, कई बीमार-बुजुर्ग कोरोना से 'जंग' तो जीते लेकिन जारी है 'संघर्ष

80 साल की शीला ज़वेरी 25 मई को कोरोना पॉज़िटिव पाई गई थीं. दो दिन के इंतेज़ार के बाद उन्‍हें अस्पताल में बेड नसीब हुआ. 31 मई को टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्‍हें 5 जून को डिस्चार्ज कर दिया गया लेकिन सरकार द्वारा बनाई गई डिस्चार्ज पॉलिसी इनके कमजोर शरीर और बाक़ी परेशानियों को अनदेखा कर गई.

सरकार की डिस्चार्ज पॉलिसी पर सवाल, कई बीमार-बुजुर्ग कोरोना से 'जंग' तो जीते लेकिन जारी है 'संघर्ष
टेस्‍ट में निगेटिव आने के बाद डिस्चार्ज हुए बीमार-बुजुर्ग मरीज दूसरी तकलीफों से गुजर रहे है (प्रतीकात्‍मक फोटो)
मुंंबई:

Covid-19 Pandemic: कोरोना वायरस की महामारी के बीच सरकार की डिस्चार्ज पॉलिसी कई मरीज़ों के लिए तकलीफ़देह साबित हो रही है. ख़ास तौर से पहले से बीमार और बुजुर्गों के लिए, कोरोना टेस्‍ट में निगेटिव आने के बाद डिस्चार्ज हुए ऐसे कई मरीज़ अब दूसरे इंफ़ेक्शन और तकलीफ़ों से गुजर रहे हैं. इसके बावजूद अस्पताल का सहारा नहीं है! इधर बेड्ज़ की कमी के मद्देनजर मुंबई में मरीज़ों के लिए सोसायटीज़ में ख़ास पहल हो रही है. मुंबई शहर में कुछ मामले ऐसे भी रिपोर्ट हुए हैं जहां डिस्चार्ज होने के बाद मरीज की मौत हुई है. लेकिन इन परेशान करने वाली खबरों के बीच मुंबई शहर की ये पहल राहत पहुँचाती हैं. कांदीवली इलाक़े की विश्वदीप हाइट्स सोसायटी ने अपने जिम में दो बेड वाली क्वारंटाइन फ़सिलिटी बनायी है. जहां हल्के लक्षण वाले मरीज़ों के लिए हर ज़रूरी इंतज़ाम किए गए हैं. बीजेपी संसाद गोपाल शेट्टी अपने इलाक़े में ख़ास तौर से ये मुहिम चला रहे हैं बीजेपी सांसद गोपाल शेट्टी ने कहा, ‘'मुझे ख़ुशी है इस बात की विश्वदीप सोसायटी ने इसकी शुरुआत की, दो दिन में और बनेगे. अब बड़े पैमाने पर लोग आगे आ रहे हैं. इससे सरकार प्रशासन को हेल्प मिलेगी. सारी उम्मीद सरकार से लगाना संभव नहीं है.'' 

80 साल की शीला ज़वेरी 25 मई को कोरोना पॉज़िटिव पाई गई थीं. दो दिन के इंतेज़ार के बाद उन्‍हें अस्पताल में बेड नसीब हुआ. 31 मई को टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्‍हें 5 जून को डिस्चार्ज कर दिया गया लेकिन सरकार द्वारा बनाई गई डिस्चार्ज पॉलिसी इनके कमजोर शरीर और बाक़ी परेशानियों को अनदेखा कर गई. शीला के बेटे 56 साल के अमित ज़वेरी डायबिटिक हैं. चलने के लिए भी किसी सहारे की ज़रूरत होती है. कोरोना पॉज़िटिव पाए जाने के बाद 23 मई को मुंबई के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हुए थे. रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद 5 जून को इन्हें भी डिस्चार्ज कर दिया गया. हालांकि कई शारीरिक चुनौतियां अब भी हैं पर एक बार फिर अस्पताल का चक्कर लगाना आसान नहीं. बिना मेडिकल स्टाफ़ की मदद के अब यूट्यूब वीडियो के सहारे जिनेश ज़वेरी बीमार माँ और भाई अमित का ख़याल रख रहे हैं. जिनेश कहते हैं, 'मां को इंफ़ेक्शन हो गया, यूरिन बैग अटैच करना ज़रूरी है, फीवर बढ़ गया है. यूरिन बैग अटैच रिमूव करने के लिए नर्स की जरूरत है लेकिन मना कर दिया. उन्‍होंने कहा, 'मां को नेज़ल फ़ीड देना था जो मुझे आता नहीं था यूट्यूब से देख के सीखना पड़ा. इधर भाई को स्‍पाइनल कॉर्ड में पहले से दिक़्क़त थी, कोरोना की वजह से भाई को भी वीकनेस आयी है. चलने की दिक़्क़त है तो वीडियो के ज़रिए फ़िज़ियोथेरेपी सीखी. एंड टू एंड सॉल्‍यूशन होना चाहिए. जिनेश ने कहा कि कोरोना के खिलाफ सक्सेस स्टोरी तो हो गया लेकिन संघर्ष खत्‍म नहीं हुआ है.''

गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 मरीजों के अस्पतालों से डिस्चार्ज को लेकर हाल ही में संशोधित डिस्‍चार्ज पॉलिसी जारी की है. नई पॉलिसी में कहा गया है कि ऐसे कोविड-19 मरीज जिनमें कोरोना के लक्षण हल्के या बहुत हल्‍के हैं, उन्‍हें कोविड केयर फैसिलिटी में रखा जाएगा. अगर तीन दिन तक बुखार नहीं आता है तो ऐसे मरीज को 10 दिन बाद अस्पताल से डिस्‍चार्ज किया जा सकता है. उससे पहले मरीज को किसी जांच की जरूरत भी नहीं है.हालांकि, मरीज को 7 दिन तक होम आइसोलेशन में रहना होगा.

वीडियो: मुंबई के अस्पतालों पर मरीजों की देखरेख में लापरवाही के लगे आरोप​

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