UP: तब्‍लीगी जमात सदस्‍यों के खिलाफ 'कैमरे' पर आपत्तिजनक बातें करती पकड़ी गईं सीनियर डॉक्‍टर..

दो माह पुराने इस वीडियो में डॉ. लालचंदानी यह कहती देखी जा सकती हैं, "हम आतंकवादियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहे हैं, इनकी वजह से बहुत से डॉक्‍टर क्‍वारंटाइन हैं. मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) इन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराकर तुष्टीकरण की नीति पर चल रहे हैं, इन्‍हें तो जेल में डाल देना चाहिए."

UP: तब्‍लीगी जमात सदस्‍यों के खिलाफ 'कैमरे' पर आपत्तिजनक बातें करती पकड़ी गईं सीनियर डॉक्‍टर..

आरती लालचंदानी कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल हैं

कानपुर:

Covid-19 Pandemic: उत्तर प्रदेश की एक शीर्ष डॉक्टर,  कानपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्‍पतालों में से एक की प्रिंसिपल को कैमरे पर तब्‍लामी जमात के सदस्‍यों को कैमरे पर आतंकवादी कहते हुए 'पकड़ा' गया है. सीनियर डॉक्‍टर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि इन्‍हें (तब्‍लीगी जमात के सदस्‍यों) को अस्‍पताल के बजाय जेल या जंगल में भेजा जाना चाहिए. आरती लालचंदानी कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल हैं. इसी साल अप्रैल माह में उनका अस्पताल प्रशासन ने तब्लीगी जमात के सदस्यों द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी. तब्‍लीगी जमात के ये सदस्‍य निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए थे और बाद में इनमें से कई कोरोना संक्रमित पाए गए थे. बाद में इनके अपने प्रदेश में लौटने पर देश में कोरोना के केसों की संख्‍या में इजाफा हुआ था. अस्पताल ने यह भी आरोप लगाया था कि क्‍वारंटाइन किए गए जमात के सदस्‍य बेतरतीब ढंग से यहां-वहां थूकते हैं और सोशल डिस्‍टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.

पांच मिनट का वीडियो कथित तौर पर शहर के एक पत्रकार द्वारा उसी समय शूट किया गया था, इसमें डॉ. लालचंदानी को जमात के सदस्‍यों और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बोलते हुए सुना जा सकता है. दो माह पुराने इस वीडियो में डॉ. लालचंदानी यह कहती देखी जा सकती हैं, "हम आतंकवादियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहे हैं, इनकी वजह से बहुत से डॉक्‍टर क्‍वारंटाइन हैं. मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) इन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराकर तुष्टीकरण की नीति पर चल रहे हैं, इन्‍हें तो जेल में डाल देना चाहिए." वीडियो में एक जगह वे यह भी कहती हैं, "उन्हें तो जंगलों में भेज दो, उन्‍हें कालकोठरी में फेंक दें. इन 30 करोड़ों में से 100 करोड़ पीड़ित हैं. उनकी वजह से वित्तीय आपातकाल के हालात हैं." 

वीडियो को लेकर आलोचना के घेरे में आने के बाद डॉ. लालचंदानी ने दावा किया कि वीडियो को तोड़ा-मरोड़ा गया है. उन्‍होंने कहा, "मेरे बयानों को उस समय के दबाव के बीच लिया गया था जब कुछ लोगों ने यहां शांति भंग करने की कोशिश की थी. डॉ.लालचंदानी ने कहा, 'मैंने किसी समुदाय का नाम नहीं लिया है लेकिन मैं विशेष रूप से इस समुदाय की प्रशंसक हूं और उनके लिए जान भी दे सकती हूं.” इस बीच कानपुर स्थित कार्यकर्ता और पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने वीडियो पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य सुश्री अली ने कहा, "इस वीडियो की जांच होनी चाहिए और अगर यह वास्तविक पाया जाता है, तो उसके खिलाफ मामला होना चाहिए."

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