कोरोना और इसकी वजह से हुए लॉकडाउन का सीधा असर सरकारों की कमाई पर पड़ा है. बीते तीन महीनों का जीएसटी कलेक्शन क़रीब-क़रीब आधा रह गया है. बीते साल के मुकाबले बस 59 फ़ीसदी. साल 2020-21 की पहली तिमाही में जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े पेश करते हुए सरकार के सामने बस यही राहत रही कि जून में जीएसटी कलेक्शन कुछ हद तक पटरी पर लौटता दिख रहा है. जून में 90,917 करोड़ रुपये जीएसटी से आए. ये बीत साल जून के मुक़ाबले बस 9 फ़ीसदी कम है.
हालांकि इसमें बीते तीन महीनों का बक़ाया जीएसटी भी शामिल है, क्योंकि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कंपनियों को ये छूट दी थी. लेकिन अप्रैल-मई के आंकड़े बता रहे हैं कि गिरावट कितनी बड़ी है. अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन बस 32,294 करोड़ रहा, जो बीते साल अप्रैल के 1,13,865 करोड़ के मुक़ाबले क़रीब-क़रीब एक-चौथाई है. जबकि मई में 62,009 करोड़ रुपये आए और बीते साल मई में 1,00,289 करोड़ रुपये आए थे. यानी दोगुने से कुछ कम.
कमाई में इस गिरावट के बावजूद सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना लागू करने की तैयारी तेज़ कर दी है. बुधवार को केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने अपील की कि वे अपने कोटे का अनाज उठाना शुरू कर दें.
लॉकडाउन के दौरान आशंका के मुताबिक जीएसटी कलेक्शन अप्रैल, मई और जून में काफी नीचे गिरा है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल की पहली तिमाही के मुकाबले इन तीन महीनो में जीएसटी कलेक्शन में गिरावट 59% तक है.
अब जानकर मानते हैं कि अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए सरकार जो जद्दोजहद कर रही है उसका अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा पर कितना असर पड़ा है इसकी बड़ी तस्वीर एक अगस्त को सामने आएगी जब जुलाई के जीएसटी कलेक्शन के आकड़े सार्वजनिक किए जाएंगे.
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