अहमदाबाद:
गोधरा कांड के बाद भड़के साम्प्रदायिक दंगों में मारे गये कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की शिकायत पर 27 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होने से पहले दंगा मामले की तफ्तीश के लिए गठित विशेष जांच दल के अध्यक्ष आरके राघवन सोमवार को गांधीनगर स्थित अपने कार्यालय पहुंचे। राघवन का यह दौरा उस रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में महत्व रखता है जिसे एसआईटी द्वारा 25 अप्रैल को दाखिल किया जाना है। यह रिपोर्ट इस बारे में होगी कि क्या जाकिया की शिकायत और आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट द्वारा शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे के चलते आगे जांच करने की जरूरत है। जाकिया ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि मोदी, कैबिनेट के उनके सहयोगी मंत्री, पुलिस अधिकारी तथा वरिष्ठ नौकरशाहों सहित 62 अन्य ने दंगे भड़काने का काम किया जिससे राज्य भर में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई। जाकिया का आरोप है कि फरवरी और मई 2002 के बीच बेकसूरों की जानमाल की सुरक्षा करने में राज्य सरकार की नाकामी जानबूझकर और इरादतन रही। भट्ट ने अपने हलफनामे में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी पर वर्ष 2002 में हुए साम्प्रदायिक संघर्ष के मामले से संबंधित गवाहों पर दबाव डालने, विद्वेष रखने, जांच पर पर्दा डालने और अहम जानकारी रिकॉर्ड करने में अनिच्छा भरा नजरिया दर्शाने का आरोप लगाया है। वर्ष 1988 की बैच के आईपीएस अधिकारी 2002 के दंगों के दौरान राज्य खुफिया ब्यूरो में पदस्थ थे। उन्होंने अपने हलफनामे में यह भी कहा कि उन्होंने 27 फरवरी 2002 को मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलायी गयी बैठक में भाग लिया था। उस बैठक में मोदी ने अधिकारियों से दंगाइयों पर ध्यान नहीं देने को कहा था। भट्ट ने कहा कि उन्हें आशंका है कि एसआईटी दंगा मामलों की जांच पर पर्दा डालने के अभियान का हिस्सा बन गयी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एसआईटी गुलबर्ग सोसायटी में हुए संहार के मामले की जांच के दौरान गवाहों के प्रति विद्वेषपूर्ण है और उन पर दबाव डाल रही है। इस मामले में दंगाइयों ने कांग्रेस सांसद जाफरी सहित 60 से अधिक लोगों की हत्या कर दी थी। भट्ट ने कहा कि मामले पर पर्दा डालने के अभियान और कार्रवाई का महत्व कम करने की कोशिशों के बारे में विवरण मुहैया कराये जाने के बावजूद एसआईटी इन अहम सुरागों की जांच करने के प्रति अनिच्छुक प्रतीत होती है। भट्ट ने अपने हलफनामे में यह कहकर भी सभी को चौंका दिया कि 27 फरवरी 2002 की रात हुई बैठक में मोदी ने अधिकारियों को निर्देश दिये थे कि दंगों के दौरान हिंदुओं को उनका गुस्सा निकालने दिया जाये क्योंकि वे मुस्लिमों को सबक सिखाना चाहते हैं। हालांकि, एसआईटी के समक्ष पहले दी गयी अपनी गवाही में मोदी ने कहा था कि भट्ट कनिष्ठ अधिकारी होने के नाते बैठक में मौजूद नहीं थे। वर्ष 2002 के दंगों के दौरान पुलिस महानिदेशक रहे के चक्रवर्ती ने भी कहा कि भट्ट बैठक में मौजूद नहीं थे। बैठक में मौजूद अन्य सदस्यों ने भी भट्ट की मौजूदगी का खंडन किया है। बहरहाल, भट्ट के वाहन चालक रहे ताराचंद यादव ने कहा कि भट्ट बैठक के दिन राज्य के पुलिस महानिदेशक के साथ मुख्यमंत्री के आवास पर गये थे। भट्ट वर्तमान में जूनागढ़ जिले स्थित राज्य रिजर्व पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य हैं। उन्होंने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि वह संबंधित प्रशासन को उन्हें तथा उनके परिवार को उचित और अचूक सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दे।