देश के 10 बड़े श्रमिक संगठनों से जुड़े करोड़ों मज़दूर सभी उपक्रमों और फैक्ट्रियों में गुरुवार को एक दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल कर रहे हैं. श्रमिक संगठनों ने केंद्र सरकार के श्रम सुधारों के एजेंडे के खिलाफ यह हड़ताल बुलाई है. श्रमिक संगठनों की यह हड़ताल ऐसे वक्त हो रही है, जब कृषि सुधारों से जुड़े तीन कानूनों के खिलाफ किसानों ने भी आंदोलन का बिगुल फूंक रखा है. किसान संगठन सरकार से ये कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
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दिल्ली में जंतर-मंतर पर इन सभी 10 मज़दूर संगठनों के नेता 12 बजे प्रदर्शन करेंगे. मज़दूर संगठनों का दावा है कि इस देशव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ कामगार शामिल होंगे. केंद्र सरकार और श्रमिक संगठनो के बीच श्रम सुधार के एजेंडे को लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है. CITU के जनरल सेक्रेटरी तपन सेन ने कहा है कि इस हड़ताल के जरिये मज़दूर सरकार को यह संदेश देंगे कि चारों श्रम सुधार के कानून देश के करोड़ों कामगारों को स्वीकार नहीं हैं.
इन मज़दूर संगठनो का आरोप है कि केंद्र सरकार की यह पहल मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करने की और मालिकों को ज्यादा अधिकार देने के लिए शुरू की गई है. RSS से जुडी भारतीय मज़दूर संघ इस हड़ताल में शामिल नहीं है. इस बार देशव्यापी हड़ताल में मज़दूर संगठन तीनों कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का भी मुद्दा उठाएंगे.
वामपंथियों के प्रभाव वाले केरल औऱ बंगाल में गुरुवार सुबह को हड़ताल के कारण ट्रेन सेवाओं पर प्रभाव पड़ा. श्रमिक संगठनों के सदस्यों ने बंगाल के कुछ इलाकों में रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया. वहीं केरल में कोच्चि समेत कुछ क्षेत्रों में सड़क और बाजार कई इलाकों में बंद रहीं और बेहद कम बसें ही दिखाई दीं.
इस हड़ताल में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस(AITUC), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर(AIUTUC), ट्रेड यूनियन कोआर्डिनेशन सेंटर (TUCC), सेल्फ एम्प्लाइड वुमेन्स एसोसिएशन(SEWA), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस(AICCTU) और संगठन शामिल हैं.
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