कपास की फसल (फाइल फोटो)।
मुंबई:
देश में सबसे ज्यादा कपास महाराष्ट्र और गुजरात में होता है, लेकिन इस बार हालात जुदा हैं। बरसात की कमी से महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में कपास की फसल लगभग बर्बाद हो गई है। किसानों को शिकायत बीटी कॉटन से भी है। कई किसानों का कहना है कि कपास के पुराने बीज कम बरसात में भी ठीक ठाक पैदावार दे देते थे।
मराठावाड़ा के तांडा गांव में थोड़ी बहुत बरसात हुई है, लेकिन 30 साल के अतुल दत्तात्रेय बसापुरे के पास खेतों में काम नहीं है। सात एकड़ में कपास लगाई थी, कम बरसात में फूल नहीं आए और 40 हज़ार रुपये स्वाहा हो गए। अतुल ने हमसे बातचीत में कहा 'अभी जो फूल हैं, बारिश नहीं हुई तो गिर जाएंगे। जो खर्चा किया था खाद, बीज, मजदूरी पर, वह भी इससे नहीं निकलने वाला।' बापूसाहेब कोकड़े ने भी 5 एकड़ में कपास लगाया था, अब कह रहे हैं 'बीटी कॉटन से कम बरसात में नफा नहीं नुकसान उपजता है। जो पुराना कपास था उससे कम बरसात में भी फसल होती थी, लेकिन बीटी कॉटन से बहुत नुकसान हो गया।'
देशभर में कपास के कुल उत्पादन का आधा हिस्सा महाराष्ट्र और गुजरात में उपजता है, लेकिन दोनों राज्य कम बरसात की मार झेल रहे हैं। मराठवाड़ा में तो अब तक सामान्य से 50 फीसदी तक कम बरसात हुई है। महाराष्ट्र में करीब 40 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है, लेकिन सूखे ने मध्य महाराष्ट्र में भी पैर पसारे हैं। ऐसे में इस बार कपास का उत्पादन प्रभावित होना तय है।
मराठावाड़ा के तांडा गांव में थोड़ी बहुत बरसात हुई है, लेकिन 30 साल के अतुल दत्तात्रेय बसापुरे के पास खेतों में काम नहीं है। सात एकड़ में कपास लगाई थी, कम बरसात में फूल नहीं आए और 40 हज़ार रुपये स्वाहा हो गए। अतुल ने हमसे बातचीत में कहा 'अभी जो फूल हैं, बारिश नहीं हुई तो गिर जाएंगे। जो खर्चा किया था खाद, बीज, मजदूरी पर, वह भी इससे नहीं निकलने वाला।' बापूसाहेब कोकड़े ने भी 5 एकड़ में कपास लगाया था, अब कह रहे हैं 'बीटी कॉटन से कम बरसात में नफा नहीं नुकसान उपजता है। जो पुराना कपास था उससे कम बरसात में भी फसल होती थी, लेकिन बीटी कॉटन से बहुत नुकसान हो गया।'
देशभर में कपास के कुल उत्पादन का आधा हिस्सा महाराष्ट्र और गुजरात में उपजता है, लेकिन दोनों राज्य कम बरसात की मार झेल रहे हैं। मराठवाड़ा में तो अब तक सामान्य से 50 फीसदी तक कम बरसात हुई है। महाराष्ट्र में करीब 40 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है, लेकिन सूखे ने मध्य महाराष्ट्र में भी पैर पसारे हैं। ऐसे में इस बार कपास का उत्पादन प्रभावित होना तय है।
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