पुणे में एक सात साल का बच्चा कोविड-19 से संक्रमित (Covid-19 infection होने के बाद इस संक्रमण के चलते एक गंभीर बीमारी का शिकार हो गया, लेकिन बच्चे ने कोविड के साथ-साथ इस पोस्ट कोविड कॉम्पिलकेशन (post covid complications) को भी मात दे दी है. पुणे एक सिटी अस्पताल में भर्ती बच्चे के बारे में डॉक्टरों ने बताया कि कोविड होने के चलते बच्चा हाइपर-इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम (hyper-inflammatory syndrome) का शिकार हो गया था. नगरपालिका कर्मचारी के इस बच्चे के परिवार में उसके माता-पिता और भाई, हर किसी को तीन हफ्ते पहले कोरोनावायरस का संक्रमण हो गया था, लेकिन वो सभी ठीक हो चुके हैं.
हाइपर-इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम को कोविड-19 से जोड़कर देखा जाता है. इस बीमारी में जान को भी खतरा होता है. इसमें पूरे शरीर के अंदरूनी हिस्सों में दर्दभरी सूजन आ जाती है, ये सूजन शरीर के जरूरी अंगों तक में फैल जाती है. डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को 10 अगस्त को पीडियाट्रिक आईसीयू में भर्ती कराया गया था. उसे दो दिनों से बुखार, पेट में दर्द और उल्टियां हो रही थीं. इलाज के दौरान उसकी नब्ज़ बहुत तेज थी, सांस बहुत तेज चल रही थी और ब्लड प्रेशर लो था, जिसके बाद डॉक्टरों को हाइपर-इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम, या फिर डेंगू या सेप्टिक शॉक जैसी कंडीशन की आशंका लग रही थी.
शुरुआती इलाज में बच्चे को सेलाइन, ऑक्सीजन और कई तरह के इंजेक्शन दिए गए ताकि उसका हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो सके. बच्चे के वाइट ब्लड सेल्स, कार्डियक एंजाइम और खून का गाढ़ापन (coagulation) बढ़े हुए दिख रहे थे ऐसे में उसे भर्ती होने के दूसरे दिन स्टेरॉयड इंजेक्शन दिए गए.
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बच्चे की ब्रीदिंग और बुरी होती गई, तो फिर उसे नॉन-इनवेज़िव वेंटिलेटर, यानी जिसमें बहुत इक्विपमेंट्स की जरूरत नहीं पड़ती है, पर रखा गया. CT Scan में देखा गया कि उसकी आंत, लीवर और स्प्लीन में सूजन आ गया है. सूजन से उसके दिल, फेफड़ों, पेट और लीवर में चोट आई थी. तीसरे दिन उसे इम्यूनोग्लोबुलिन इंजेक्शन दिया गया.
लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं आया क्योंकि उसके खून में Interleukin-6 (IL-6) का लेवल बहुत ज्यादा था. यह एक तरह का इन्फ्लेमेटरी सब्सटेंस होता है, जिससे शरीर के अंदरूनी हिस्सों में सूजन आ जाती है. फिर डॉक्टरों ने उसे Tocilizumab इंजेक्शन दिया जो IL-6 के रिसेप्टर्स को ब्लॉक करके सूजन खत्म कर देता है. यह इंजेक्शन लगने के 12 घंटों के भीतर बच्चे का बुखार और पेट दर्द गायब हो गया. उसके शरीर में जो भी अनियमितताएं पैदा हुई थीं, वो धीरे-धीरे सामान्य स्तर पर आ गईं और 11 दिन तक अस्तपाल में रहने के बाद बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया.
पुणे के इस हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कहना है उनकी आशंका है कि कोविड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में इस तरह के और भी मामले सामने आ सकते हैं.
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