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This Article is From Sep 09, 2020

कोरोना महामारी का आपकी रेल यात्रा पर होगा 'बड़ा' असर, कुछ सुविधाओं में होगी कटौती और..

ट्रेड यूनियनों को अंदेशा है कि कोविड संकट की आड़ में प्राइवेटाइज़ेशन तेज़ किया जा रहा है. नौकरियां पहले ही कम कर दी गई हैं.

कोरोना महामारी का आपकी रेल यात्रा पर होगा 'बड़ा' असर, कुछ सुविधाओं में होगी कटौती और..
कोरोना महामारी भारतीय रेलवे के सामने कठिन चुनौती के रूप में सामने आई है (प्रतीकात्‍मक फोटो)
नई दिल्ली:

कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के कारण पैदा हुए वित्तीय संकट (Financial crisis)का असर आपकी रेल यात्रा (Rail Travel) पर भी पड़ेगा. कई सुविधाएं कटेंगी. संभव हैं, कुछ नई सुविधाएं जुड़ भी जाएं. हालांकि रेल यूनियन का आरोप है कि कोविड-19 के बहाने रेल मंत्रालय आम आदमी की सुविधा पर कम ध्यान दे रहा है और अपने निजीकरण का एजेंडा बढ़ा रहा है.अब रेलवे  (Indian Railway)अपनी समय सारणी (Time table) में बदलाव कर रहा है. ट्रेनें अब कम स्टेशनों पर रुकेंगी जबकि उनकी रफ्तार बढ़ेगी.अब एसी ट्रेनों मे कंबल, चादर और पका खाना नहीं मिलेगा. पके खाने के स्‍थान पर डिब्बाबंद खाने पर विचार हो रहा है. वेटिंग लिस्ट लंबी होने पर क्लोन ट्रेनें चलेंगी.

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रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव कहते हैं, 'बल्कैंट की जगह या तो लोग अपने घर से लिनिन लाएं या सिंगल यूज लिनिन का यूज करें ताकि हाईजन का ध्यान रखा जाए.' यह पूछे जाने पर कि 'जीरो बेस्ट टाइम टेबल' कब से लागू होगा ये कोविड की सिचुएशन पर निर्भर करेगा. उधर, ट्रेड यूनियनों को अंदेशा है कि कोविड संकट की आड़ में प्राइवेटाइज़ेशन तेज़ किया जा रहा है. नौकरियां पहले ही कम कर दी गई हैं. ऐसे समय जब कोविड के चलते तमाम सारे लोग अपने घरों तक सिमटे हैं. इकट्ठे होकर धरने प्रदर्शन पर रोक है.रेलवे ने कैसे इस आपदा को 'अवसर' में बदला और रेलवे की ताकतवर ट्रेड यूनियन को इसे लेकर डर सताने लगा है.राजधानी दिल्ली के स्टेशन को पीपीपी मॉडल पर इस तरह विकसित करने की तैयारी चल रही है.यहां बड़े मॉल और होटल होंगे जिनमें निजी कंपनियां भागेदार होंगी.

यही नहीं प्राइवेटाइजेशन की इस प्रक्रिया के तहत 7 रेलवे प्रॉडक्शन यूनिट का निगमीकरण किया जा रहा है, इन सभी यूनिटों को कारपोरेशन बनाकर एक ही CMD की नियुक्त होगी.150 ट्रेनें निजी कंपनियों को देने का टेंडर एक बार निकाला जा चुका है. ट्रेड यूनियनें इस सबको लेकर आशंकित हैं. AIRF के प्रेसीडेंट शिवगोपाल मिश्रा कहते हैं, 'उनका जो ऐजेंडा है निजीकरण का, निगमीकरण का एजेंडा.. कोविड के इस समय में उसे पुश करने में लगाया.हमसे कहा गया था कि हम आपसे पूछकर करेंगे लेकिन फिर सरकार ने पूछा तक नहीं.' जानकारों की चिंता यही है कि कोविड में वित्तीय संकट के नाम पर कहीं आम लोगों की ये सवारी खास लोगों तक ही न सीमित हो जाए...

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