Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस की महामारी के चलते दूसरे राज्यों से लौटकर बिहार (Bihar) आ रहे श्रमिकों को 'प्रवासी श्रमिक' (Migrant Labour) कहे जाने पर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को आपत्ति है. ये बात ख़ुद बुधवार को नीतीश कुमार ने उस समय स्वीकार की जब वे बिहार के पंचायतों और जिला परिषद के जनप्रतिनिधियों के साथ बात कर रहे थे. सीएम ने कहा कि जब यह देश एक है और लोग एक जगह से दूसरी जगह सेवा करने गए हैं तो यह अच्छी बात नहीं है कि जब बिहार के बाहर से लोग वापस आए तो उन्हें प्रवासी कहा जाए. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि हां, जब वो देश के बाहर जाय तो उन्हें आप 'प्रवासी' कह सकते हैं . नीतीश कुमार के संबोधन से साफ़ लग रहा था कि उन्हें अपने प्रति इन श्रमिकों में नाराज़गी का आभास हैं इसलिए वो ऐसी बारे कर रहे थे जिससे उनके बीच ग़ुस्सा कम हो.
नीतीश ने कहा कि उन्हें इन सबके साथ जो बाहर के राज्यों में हुआ, उससे कष्ट हुआ है. उन्होंने इनकी देखभाल का ठीकरा उन राज्यों के पर फोड़ते हुए कहा कि जब वे (श्रमिक) वहां काम करने के लिए गए हैं उनकी देखभाल का ज़िम्मा भी उनके ऊपर आता है इसलिए अब उनकी कोशिश होगी कि इन श्रमिकों को मजबूरी में कहीं काम के लिए न जाना पड़े. हालांकि नीतीश के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि आख़िर जब श्रमिक लौट रहे थे तो महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों ने उनके टिकट का ख़र्च भी वहन किया और बिहार सरकार ने अपना पल्ला ये कहकर क्यों झाड़ लिया कि जब तक वे लौटकर नहीं आते हैं आप क्वारंटाइन का समय नहीं गुज़ारते हैं तब तक उन्हें उनके खाते में टिकट के दाम के साथ 500 रुपये नहीं दिए जाएंगे .
हालांकि बिहार के सीएम ने इस बैठक में माना कि अब राज्य में कोरोना से 75 प्रतिशत संक्रमित वे लोग हैं जो बाहर से आये हैं. उन्होंने कहा कि अब टेस्टिंग की क्षमता दस हज़ार तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया हैं. नीतीश ये लक्ष्य पिछले पंद्रह दिनों से हर बैठक में देते हैं लेकिन राज्य में टेस्टिंग तीन हज़ार से ज़्यादा नहीं हो रही. उन्होंने कहा कि अब राज्य में कोरोना के पॉज़िटिव लोगों के लिए पहले स्तर पर आइसोलेशन सेंटर होगा जिसकी क्षमता 40 हज़ार बेड तक करने की कोशिश हो रही हैं. उसके बाद जिनके बीच बीमारी के लक्षण होंगे उन्हें केयरसेंटर में रखा जायेगा और उससे गंभीर लोगों कोविड-19 केयर हॉस्पिटल में रखा जाएगा.
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