विज्ञापन
This Article is From Apr 06, 2020

दिल्ली : लॉकडाउन के दौरान मां की मय्यत छोड़ ज़रूरतमंदों की मदद में लगा रहा यह शख्स

इंसानियत की शानदार मिसाल पेश करने वाले शकीलुर्रहमान को पिछले शुक्रवार उनकी छोटी बहन नुसरत यासमीन ने फोन पर मां नौशाबा ख़ातून के गुज़र जाने की ख़बर दी.

दिल्ली : लॉकडाउन के दौरान मां की मय्यत छोड़ ज़रूरतमंदों की मदद में लगा रहा यह शख्स
लगभग एक हफ्ते से बीमार चल रही मां अपने बेटे को आखिरी बार देखने की ख्वाहिश लिए विदा हो गई.
नई दिल्ली:

दिल्ली के ओखला इलाके में रहने वाले और ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले शकीलुर्रहमान ने बिहार के समस्तीपुर जिले के शाहपुर बघौनी गांव में गुज़र गईं अपनी मां के जनाज़े में पहुंचने के मुकाबले दिल्ली में ही रहकर ज़रूरतमंदों को राशन बांटना बेहतर समझा. उनका कहना है कि यही उनकी मां को सही श्रद्धांजलि है.

इंसानियत की शानदार मिसाल पेश करने वाले शकीलुर्रहमान को पिछले शुक्रवार उनकी छोटी बहन नुसरत यासमीन ने फोन पर मां नौशाबा ख़ातून के गुज़र जाने की ख़बर दी. लगभग एक हफ्ते से बीमार चल रही मां अपने बेटे को आखिरी बार देखने की ख्वाहिश लिए विदा हो गई, लेकिन उनका बेटा लॉकडाउन के बीच दिल्ली में उन परिवारों की तलाश कर रहा था, ज़रूरतमंद थे, लेकिन किसी के सामने हाथ फैलाने से हिचक रहे थे. इसी पहल को कामयाब बनाने की ख्वाहिश ने उन्हें प्रशासन से संपर्क कर गांव जाने की कोशिश करने से रोक दिया.

tb72sdqg

मां की बीमारी की ख़बर मिलने पर भी शकीलुर्रहमान ने गांव चले जाने की सलाह देने वालों दोस्तों से इंतज़ार करने के लिए कहा था, लेकिन लॉकडाउन खत्म होने का इंतज़ार भारी पड़ गया. मां की मौत की ख़बर उन्हें उस वक्त मिली, जब वह लोगों को राशन बांट रहे थे. उनकी आंखों से लगातार बहते आंसू देखकर राशन लेने वालों के साथ-साथ उनकी टीम के लोग भी हैरत में थे, लेकिन पहले से ही गांव चले जाने की सलाह देने वाले साथियों शारिक खान, नईम चौधरी, मुस्लिम मोहम्मद और महबूब बैटरी को असलियत समझते देर नहीं लगी. टीम के साथियों ने मुहिम को उसी वक्त रोककर प्रशासन से संपर्क करने की सलाह फिर दी, लेकिन शकीलुर्रहमान ने बात नहीं सुनी, और अगले ज़रूरतमंद के घर की तरफ चल पड़े.

j3kbkh5o

ऑल इंडिया मिल्ली कॉउन्सिल के पूर्व जनरल सेक्रेटरी और वर्तमान में सोशल डाइस एनजीओ के अध्यक्ष शकीलुर्रहमान ने NDTV से कहा, "मैंने मां खोई है, लेकिन मैं तमाम मां-बहनों की मदद के लिए लगा हुआ हूं, ताकि उन्हें किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े, उन्हें लॉकडाउन में परेशानी का सामना न करना पड़े... यही मुहिम मेरी मां को मेरी श्रद्धांजलि है..."

शकीलुर्रहमान गरीबों के घरों तक राशन, दवाइयां और अन्य ज़रूरी चीज़ें पहुंचा रहे हैं, और इस काम में 25-30 जवानों की टीम उनके साथ है. शकील के मुताबिक, "इन साथियों की मेहनत और मोहब्बत के कारण ही यह नेक काम संभव हो पा रहा है... संकट की इस घड़ी में सरकार के साथ-साथ ज़िम्मेदार लोगों को आगे आकर सुविधाएं जन-जन तक पहुंचानी चाहिए, तभी लॉकडाउन कामयाब होगा, वरना लोग ज़रूरी सामान के लिए घरों से निकल पड़ेंगे और फिर हम इस वैश्विक महामारी का मुकाबला नहीं कर पाएंगे..."

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com