कोरोना संक्रमण के दौर में ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर दिव्यांग परेशान

स्मार्टफोन का अभाव, पहले की तरह दूसरों की सहायता नहीं मिल रही, कई दिव्यांग छात्रों की नहीं हो पा रही पढ़ाई

कोरोना संक्रमण के दौर में ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर दिव्यांग परेशान

प्रतीकात्मक फोटो.

मुंबई:

कोरोना संक्रमण के बाद से जहां पढ़ाई ऑनलाइन शुरू कर दी गई है तो वहीं इसका असर सबसे ज़्यादा उन दिव्यांग छात्रों पर पड़ा है जो देख नहीं सकते. इन छात्रों की पढ़ाई पर और आर्थिक हालात पर इसका असर पड़ा है. बीए के सेकंड ईयर में पढ़ाई करने वाले दर्शन कांबले दिव्यांग हैं. मुम्बई के रुईया कॉलेज में वो पढ़ाई कर रहे हैं. कोरोना से पहले वो जब कॉलेज जाते थे तो अपने साथियों और दूसरों की सहायता लेकर सब कुछ समझ जाते थे. पर अब पढ़ाई ऑनलाइन जारी है, जिसका मतलब है कि आधी चीज़ें वो नहीं समझ पाते हैं. मोबाइल में एक सॉफ्टवेयर है जिससे कुछ पढ़ाई को ऑडियो के रूप में बदला जाता है, पर आधे से ज़्यादा चीजों का ऑडियो उपलब्ध नहीं है. फोन की हालत भी खराब है.

दर्शन कंबल ने बताया कि ''पहले किताब मिलती थी, राइटर और रीडर होते थे तो काम हो जाता था. अब दिक्कत यह है कि शिक्षक हमें PDF भेजते हैं जिसे हमारा सॉफ्टवेयर पढ़ नहीं पाता है. एग्जाम के लिए जो लिंक भेजी है पर लिंक खोलने पर हम समझ नहीं पाते हैं.''

पढ़ाई के अलावा दर्शन ऑल इंडिया ब्लाइंड जूडो में ब्रॉन्ज मैडल जीत चुके हैं. घर की आर्थिक हालात ठीक नहीं है इसलिए इन्होंने अपने दिव्यांग साथियों के साथ एक ऑर्केस्ट्रा शुरू किया है. पर इस साल गणेशोत्सव और नवरात्रि नहीं मनाए जाने का असर इनकी आर्थिक हालात पर पड़ा है. फीस भरने में इनके कई साथियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दर्शन कांबले ने बताया कि ''इस साल शो नहीं मिल रहा है, तो बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. घर पर पैसे नहीं हैं. ऑनलाइन लेक्चर के लिए डेटा जाता है. कॉलेज ने फीस भी उतनी ही ली है. अब रिचार्ज का भी पैसा लगता है.''

पढ़ाई पूरी करके दर्शन नौकरी करना चाहते हैं. इस महीने से परीक्षाएं शुरू हो रही हैं. आम तौर पर कई वालंटियर परीक्षा के दौरान लिखने में इनकी मदद करते हैं, पर इस बार परीक्षा ऑनलाइन होने वाली है, उन्हें नहीं पता कि वह कैसे परीक्षा देंगे. दर्शन कांबले ने कहा कि ''पहले हम एग्जाम में राइटर लेकर जाते थे, हम बोलते थे और वो लिखते थे. इस साल ऑनलाइन पढ़ाई होने की वजह से अब घर पर ही किसी को देखना पड़ेगा. मेरे घर वाले इतने पढ़े लिखे नहीं हैं.''

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तमाम परेशानियों का सामना करने के  बावजूद जहां दर्शन को उम्मीद है कि वे आगे बढ़ पाएंगे तो वहीं कई ऐसे हैं जिन्होंने पढ़ाई छोड़ दी है.