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This Article is From Jun 10, 2021

कोरोना से अनाथ बच्‍चों के मामले में प्रकाश जावड़ेकर का केजरीवाल और ममता पर वार, कहा-इससे बड़ा आईना...

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) भी कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अनाथ हुए बच्‍चों के मामले में बंगाल और दिल्‍ली सरकार की आलोचना कर चुका है.

कोरोना से अनाथ बच्‍चों के मामले में प्रकाश जावड़ेकर का केजरीवाल और ममता पर वार, कहा-इससे बड़ा आईना...
प्रकाश जावड़ेकर ने अनाथ बच्‍चों की जानकारी उपलब्‍ध नहीं कराने के मामले में ममता-केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा
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Summary is AI generated, newsroom reviewed.
अनाथ बच्‍चों की जानकारी मुहैया नहीं कराने पर साधा निशाना
लिखा, दिल्‍ली, बंगाल सरकार ने SC को सही जानकारी नहीं दी
इससे बड़ा आईना आपको क्‍या चाहिए केजरीवाल और ममता
नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्‍चों की जानकारी उपलब्‍ध नहीं कराने को लेकर दिल्‍ली और पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधा है. जावड़ेकर ने एक मुद्दे पर एक ट्वीट किया, इसमें उन्‍होंने लिखा, 'दिल्ली और बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई कि कोविड के दौरान जो बच्चे अनाथ हुए या जिनका एक अभिभावक चल बसा, उनकी सही जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई. बाल स्वराज पोर्टल पर भी यह जानकारी नहीं है...इससे बड़ा आईना आपको क्या चाहिए केजरीवाल और ममता.'

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गौरतलब है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) भी कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अनाथ हुए बच्‍चों के मामले में बंगाल और दिल्‍ली सरकार की आलोचना कर चुका है. NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा सोमवार को कहा था कि कोरोना वारयरस संक्रमण के कारण अनाथ हुए बच्चों को लेकर पश्चिम बंगाल और दिल्ली की सरकारों का रवैया असंवेदनशील है क्योंकि इन्होंने इन बच्चों के संदर्भ में अब तक पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई है.उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर सभी राज्यों को बच्चों के उपचार की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए. कानूनगो ने कहा था, ‘‘अनाथ बच्चों की मदद को लेकर कई राज्य सरकारों ने तेजी से काम किया है. यह अच्छा संकेत है कि हम बच्चों की मदद के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं. अफसोस की बात है कि पश्चिम बंगाल और दिल्ली दो राज्य ऐसे हैं, जहां इन बच्चों का सर्वे नहीं कराया गया और हमें पूरी जानकारी नहीं दी गई है.''उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों के प्रति इन दोनों सरकारों के रवैये को संवेदनशील नहीं कहा जा सकता.''

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एनसीपीसीआर ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 29 मई तक राज्यों की ओर से प्रदान किए गए डेटा के मुताबिक 9346 ऐसे बच्चे हैं जो कोरोना महामारी के कारण बेसहारा और अनाथ हो गए हैं या फिर अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है. एनसीपीसीआर ने ऐसे बच्चों की जानकारी के लिए वेबसाइट ‘बाल स्वराज' शुरू किया है जहां राज्य अपने यहां का डेटा उपलब्ध करा सकते हैं.एनसीसीपीसीआर प्रमुख ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स के जरिए इन अनाथ बच्चों की मदद की जो घोषणा की है, उससे इन बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने और संवारने में मदद मिलेगी.

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