भारत में दुनिया के सबसे ऊंचे रेल मार्ग का निर्माण, राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने पर जोर

भारतीय रेलवे ने लेह में अपनी सामरिक महत्व की बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने पर जोर दिया

भारत में दुनिया के सबसे ऊंचे रेल मार्ग का निर्माण, राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने पर जोर

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • परियोजना के लिए सर्वेक्षण का पहला चरण पूरा
  • 465 किलोमीटर लंबी लाइन की लागत 83,360 करोड़ अनुमानित
  • परियोजना पूरी होने पर देश के सशस्त्र बलों को मदद मिलेगी
नई दिल्ली:

रेलवे ने प्रस्तावित किया है कि भारत-चीन सीमा से लगती इसकी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना चाहिए. यह विश्व का सबसे ऊंचा रेल मार्ग होगा.

अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि रेलवे ने यह सुझाव भी दिया है कि हिमाचल प्रदेश के उप्शी और और लेह के फे के बीच 51 किलोमीटर लंबी पट्टी पर तत्काल निर्माण शुरू होना चाहिए. उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विशेष चौबे ने कहा, ‘‘परियोजना के लिए सर्वेक्षण का पहला चरण पूरा हो गया है और 465 किलोमीटर लंबी लाइन पर लागत का प्रारंभिक आकलन 83,360 करोड़ रुपये का है. रेलवे की यह सबसे कठिन परियोजना है और यह सामरिक महत्व के लिहाज से पांच सर्वाधिक महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है.’’

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उन्होंने कहा, ‘‘हमने सुझाव दिया है कि परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित किया जाए क्योंकि इसके पूरा हो जाने पर इससे हमारे सशस्त्र बलों को मदद मिलेगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र का विकास होगा.’’ किसी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किए जाने का यह लाभ होता है कि परियोजना के लिए अधिकांश वित्तीय मदद केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है.

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परियोजना में समुद्र तल से 5360 मीटर ऊपर सर्वाधिक ऊंचा सड़क बिन्दु होगा. इसकी तुलना केवल चीन की किंघाई-तिब्बत रेल लाइन से की जा सकती है जो समुद्र तल से लगभग दो हजार मीटर ऊपर है. लेह से भाजपा सांसद थुपस्तन छेवांग ने सितंबर में रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की थी.
(इनपुट भाषा से)


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