ताज महल के संरक्षण के लिए यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी पॉलिसी सौंप दी है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह ताजमहल के आसपास और ताज ट्रेपिजियम जोन (टीटीजेड) में पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर है. राज्य सरकार ने शुक्रवार को ताजमहल और टीटीजेड के संरक्षण को लेकर अपनी विस्तृत पॉलिसी सुप्रीम कोर्ट को सौंपी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा है कि ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में पर्यटक वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध है. 500 मीटर के दायरे में सिर्फ वहां के निवासियों के वाहनों को आवाजाही की इजाजत दी गई है. कुल 1766 वाहनों को इस दायरे में आवाजाही की इजाजत है. इनमें 447 कार हैं जबकि 1319 दोपहिया वाहन हैं. पूरे टीटीजेड में 15 वर्ष से पुराने वाहनों पर पाबंदी है. सिर्फ सीएनजी वाले ऑटो रिक्शा, स्कूल बस व व्यावसायिक वाहनों को ही आवाजाही की इजाजत है.
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सरकार ने कहा है कि ताजमहल और आसपास खाना पकाने के लिए लकड़ी या कोयला जलाने पर पाबंदी है. टीटीजेड में औद्योगिक इकाइयों के कोयले के इस्तेमाल पर पाबंदी है. इस पूरे क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों एलपीजी, प्राकृतिक गैस या बिजली से चल रही हैं. ताजमहल के आसपास झुग्गी बस्तियों में उज्जवला योजना के तहत लोगों को एलपीजी कनेक्शन दिए जा रहे हैं जिससे कि लोग कोयला या लकड़ी न जलाएं. पेठा इकाइयों द्वारा कोयले के इस्तेमाल पर पाबंदी है.
आगरा के इर्द-गिर्द बाईपास का निर्माण किया गया है और कुछ और बाईपास का निर्माण कार्य किया जाएगा, जिससे कि इस क्षेत्र में प्रदूषण कम हो.किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है कि वे फसलों के अवशेष न जलाएं. साथ ही ताजमहल के आसपास नियमित रूप से धूल की सफाई की जाती है. हलफनामे में सरकार ने यह भी बताया है कि पूरे टीटीजेड में आठ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं और चार एसटीपी और बनाए जाएंगे जिससे कि यमुना में गंदगी न जाए. इसके अलावा विद्युत शवदाहगृह के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है.
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दरअसल गुरुवार को ताजमहल के संरक्षण को लेकर यूपी सरकार के पॉलिसी न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने आपको पॉलिसी देने को कहा था और आपने अभी तक नहीं दी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि हमें पॉलिसी चाहिए तभी मामले की सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 नवंबर तक पॉलिसी दें.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताज संरक्षित क्षेत्र में स्थित शिल्पग्राम में निर्माणाधीन मल्टीलेवल पार्किंग का आपने खुद मई में काम बंद किया था. तब क्या पार्किंग की समस्या नहीं आई. आपने मई में पार्किंग के निर्माण काम क्यों बंद किया था? दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी तब की जब उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया कि ताज संरक्षित क्षेत्र में पार्किंग की जरूरत है क्योंकि वहां ट्रैफिक की समस्या हो रही है. इससे पहले बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह ताजमहल व उसके आसपास और ताज ट्रैपिजियम जोन के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने कहा है कि पर्यावरण कानून और अदालती आदेशों के अनुसार पूरे क्षेत्र में काम हो रहा है. सरकार ने कहा कि 10400 वर्गमीटर क्षेत्र में फैले टीटीजेड में होने वाले सभी विकास कार्य टीटीजेड सहित संबंधित अथॉरिटी के अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही हो रहे हैं.
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उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि ताजमहल के संरक्षण के लिए अलग से माइक्रो लेवल योजना तैयार करने पर विचार किया जा रहा है. सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि ताजमहल के संरक्षण से संबंधित प्रावधानों को आगरा के मास्टर प्लान, 2021 में शामिल किया गया है. साथ ही ताजमहल के संरक्षण के लिए विशेषज्ञों और प्रतिष्ठित संस्थानों से मदद लेने पर विचार किया जा रहा है. हलफनामे में कहा गया है कि नीरी की सिफारिशों के तहत टीटीजेड अथॉरिटी अल्पकालीन और दीर्घकालीन योजनाओं की निगरानी करता है. हाल में नीरी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ताजमहल के संरक्षण के लिए धूलरहित पार्किंग सुविधा मुहैया कराने की जरूरत है. साथ ही ताजमहल की पूर्व और पश्चिम दिशा में ओरिएंटेशन सेंटर की जरूरत है.
VIDEO : अहम यह नहीं है कि ताज कब और कैसे बना
राज्य सरकार ने कहा है कि शिल्पग्राम में मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण टीटीजेड अथॉरिटी द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद किया जा रहा था. पर्यटन विभाग द्वारा पार्किंग का निर्माण हो रहा है. पार्किंग का निर्माण ताजमहल से एक किलोमीटर की दूरी पर हो रहा है. ताजमहल के आसपास वाहनों की आवाजाही खत्म करने के उद्देश्य से इसका निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना के लिए 11 पेड़ों को काटने की जरूरत है. इसके लिए राज्य सरकार 330 पौधे लगाने के लिए तैयार है. इसके लिए जगह की भी पहचान कर ली गई है. सरकार ने बताया कि पार्किंग का निर्माण पिछले साल 18 जून को शुरू किया गया था लेकिन 20 मई, 2017 से निर्माण कार्य रुका पड़ा है. राज्य सरकार ने अदालत से 11 पेड़ों को काटने की इजाजत मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा है कि ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में पर्यटक वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध है. 500 मीटर के दायरे में सिर्फ वहां के निवासियों के वाहनों को आवाजाही की इजाजत दी गई है. कुल 1766 वाहनों को इस दायरे में आवाजाही की इजाजत है. इनमें 447 कार हैं जबकि 1319 दोपहिया वाहन हैं. पूरे टीटीजेड में 15 वर्ष से पुराने वाहनों पर पाबंदी है. सिर्फ सीएनजी वाले ऑटो रिक्शा, स्कूल बस व व्यावसायिक वाहनों को ही आवाजाही की इजाजत है.
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सरकार ने कहा है कि ताजमहल और आसपास खाना पकाने के लिए लकड़ी या कोयला जलाने पर पाबंदी है. टीटीजेड में औद्योगिक इकाइयों के कोयले के इस्तेमाल पर पाबंदी है. इस पूरे क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों एलपीजी, प्राकृतिक गैस या बिजली से चल रही हैं. ताजमहल के आसपास झुग्गी बस्तियों में उज्जवला योजना के तहत लोगों को एलपीजी कनेक्शन दिए जा रहे हैं जिससे कि लोग कोयला या लकड़ी न जलाएं. पेठा इकाइयों द्वारा कोयले के इस्तेमाल पर पाबंदी है.
आगरा के इर्द-गिर्द बाईपास का निर्माण किया गया है और कुछ और बाईपास का निर्माण कार्य किया जाएगा, जिससे कि इस क्षेत्र में प्रदूषण कम हो.किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है कि वे फसलों के अवशेष न जलाएं. साथ ही ताजमहल के आसपास नियमित रूप से धूल की सफाई की जाती है. हलफनामे में सरकार ने यह भी बताया है कि पूरे टीटीजेड में आठ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं और चार एसटीपी और बनाए जाएंगे जिससे कि यमुना में गंदगी न जाए. इसके अलावा विद्युत शवदाहगृह के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है.
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दरअसल गुरुवार को ताजमहल के संरक्षण को लेकर यूपी सरकार के पॉलिसी न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने आपको पॉलिसी देने को कहा था और आपने अभी तक नहीं दी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि हमें पॉलिसी चाहिए तभी मामले की सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 नवंबर तक पॉलिसी दें.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताज संरक्षित क्षेत्र में स्थित शिल्पग्राम में निर्माणाधीन मल्टीलेवल पार्किंग का आपने खुद मई में काम बंद किया था. तब क्या पार्किंग की समस्या नहीं आई. आपने मई में पार्किंग के निर्माण काम क्यों बंद किया था? दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी तब की जब उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया कि ताज संरक्षित क्षेत्र में पार्किंग की जरूरत है क्योंकि वहां ट्रैफिक की समस्या हो रही है. इससे पहले बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह ताजमहल व उसके आसपास और ताज ट्रैपिजियम जोन के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने कहा है कि पर्यावरण कानून और अदालती आदेशों के अनुसार पूरे क्षेत्र में काम हो रहा है. सरकार ने कहा कि 10400 वर्गमीटर क्षेत्र में फैले टीटीजेड में होने वाले सभी विकास कार्य टीटीजेड सहित संबंधित अथॉरिटी के अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही हो रहे हैं.
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उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि ताजमहल के संरक्षण के लिए अलग से माइक्रो लेवल योजना तैयार करने पर विचार किया जा रहा है. सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि ताजमहल के संरक्षण से संबंधित प्रावधानों को आगरा के मास्टर प्लान, 2021 में शामिल किया गया है. साथ ही ताजमहल के संरक्षण के लिए विशेषज्ञों और प्रतिष्ठित संस्थानों से मदद लेने पर विचार किया जा रहा है. हलफनामे में कहा गया है कि नीरी की सिफारिशों के तहत टीटीजेड अथॉरिटी अल्पकालीन और दीर्घकालीन योजनाओं की निगरानी करता है. हाल में नीरी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ताजमहल के संरक्षण के लिए धूलरहित पार्किंग सुविधा मुहैया कराने की जरूरत है. साथ ही ताजमहल की पूर्व और पश्चिम दिशा में ओरिएंटेशन सेंटर की जरूरत है.
VIDEO : अहम यह नहीं है कि ताज कब और कैसे बना
राज्य सरकार ने कहा है कि शिल्पग्राम में मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण टीटीजेड अथॉरिटी द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद किया जा रहा था. पर्यटन विभाग द्वारा पार्किंग का निर्माण हो रहा है. पार्किंग का निर्माण ताजमहल से एक किलोमीटर की दूरी पर हो रहा है. ताजमहल के आसपास वाहनों की आवाजाही खत्म करने के उद्देश्य से इसका निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना के लिए 11 पेड़ों को काटने की जरूरत है. इसके लिए राज्य सरकार 330 पौधे लगाने के लिए तैयार है. इसके लिए जगह की भी पहचान कर ली गई है. सरकार ने बताया कि पार्किंग का निर्माण पिछले साल 18 जून को शुरू किया गया था लेकिन 20 मई, 2017 से निर्माण कार्य रुका पड़ा है. राज्य सरकार ने अदालत से 11 पेड़ों को काटने की इजाजत मांगी है.